दिल्ली, 29 जून (ब्यूरो) : पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को दिल्ली में एक हाईलेवल मीटिंग हुई है। यह मीटिंग करीब 5 घंटे तक चली और कहा जा रहा है कि इसमें समान नागरिक संहिता के मसले पर भी लंबा मंथन हुआ। इस मीटिंग में होम मिनिस्टर अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष मौजूद थे। मंगलवार को ही भोपाल में एक आयोजन में पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता को लाने की वकालत की थी और उसके बाद हुई यह लंबी मीटिंग अहम मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि इस बैठक में समान नागरिक संहिता को लागू करने के तरीकों और उस पर कदम आगे बढ़ाने की रणनीति पर चर्चा हुई है।
इसके अलावा बैठक में आने वाले दिनों में कैबिनेट विस्तार और भाजपा में फेरबदल पर चर्चा होने की भी खबर है। माना जा रहा है कि भाजपा अलग-अलग राज्यों के कुछ नेताओं को कैबिनेट में जगह दे सकती है। इसके अलावा कुछ बड़े नेताओं को संगठन में जगह दी जा सकती है ताकि चुनाव अभियान को धार दी जा सके। प्रधानमंत्री ने मंगलवार को पहली बार समान नागरिक संहिता पर खुलकर अपनी बात रखी थी। इससे पहले विधि आयोग ने इस मसले पर सिविल सोसायटी और अहम संगठनों से जुड़े लोगों से राय मांगी थी। राय देने की समयसीमा 14 जुलाई को समाप्त हो रही है। उसके बाद इस पर कोई फैसला लिया जा सकता है।
इस बीच उत्तराखंड सरकार की ओर से बीते साल बनाई गई समिति भी समान नागरिक संहिता पर अगले दो से तीन सप्ताह में रिपोर्ट देने जा रही है। खबर है कि भाजपा नेतृत्व चाहता है कि पहले इसे उत्तराखंड में लागू करने देख लिया जाए कि इसके क्या असर होते हैं। इसके बाद ही पूरे देश में समान नागरिक संहिता को लागू किया जाएगा। भाजपा को लगता है कि चुनावी साल में यह ऐसा मसला है, जिससे हिंदुत्व का कार्ड चल सकता है। इसके अलावा ध्रुवीकरण के लिहाज से भी यह अहम है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इसका समर्थन नहीं कर सकते और मुखर विरोध को भाजपा अपने फायदे में ही देख रही है।