जालंधर, 10 सितंबर (धर्मेंद्र सौंधी) : प्रिंसिपल प्रोफेसर डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन के कुशल मार्गदर्शन में, फ्रायडियन साइकोलॉजिकल सोसायटी ने विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की पूर्व संध्या पर “डर से लड़ें और लक्ष्य हासिल करें” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। रिसोर्स पर्सन एक प्रतिष्ठित मनोचिकित्सक श्री जतिंदर पाल सिंह थे। उनका स्वागत श्रीमती नवरूप, डीन युवा कल्याण और डॉ. आशमीन कौर, प्रमुख पी.जी. ने किया। प्लांटर के साथ मनोविज्ञान विभाग।
श्री जतिंदर पाल सिंह ने छात्रों के साथ बातचीत करके कार्यशाला की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि कैसे हम अपने दिमाग को सात चरणों द्वारा दुरुस्त कर सकते हैं जो हैं शांति, जागरूकता, स्वीकार करने का पैटर्न, अपने ट्रिगर्स को जानना, बदलाव के प्रति प्रतिबद्धता, दोहराना और समाधान। उन्होंने कहा कि यदि आप 21-90 दिनों तक सचेत प्रयास करते हैं तो आप एक नया आप प्राप्त कर सकते हैं। कभी-कभी लोग असफलता के डर से आत्महत्या कर लेते हैं, इसलिए व्यक्ति को याद रखना चाहिए कि असफलता एक घटना है, कोई व्यक्ति नहीं। उन्होंने एक चौंकाने वाला तथ्य यह भी बताया कि वैश्विक स्तर पर हर दो सेकंड में एक आत्महत्या का प्रयास होता है। इंटरैक्टिव सत्र के दौरान उन्होंने छात्रों से “क्या आत्महत्या एक व्यक्तिगत विफलता या सामाजिक पराजय है?” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए कहा।
प्रिंसिपल प्रोफेसर डॉ. अजय सरीन ने इस पहल की सराहना की और मनोविज्ञान विभाग को बधाई दी और कहा कि ऐसा लग सकता है कि आपकी समस्याओं को हल करने का कोई रास्ता नहीं है और आत्महत्या ही दर्द को खत्म करने का एकमात्र तरीका है, लेकिन हर समस्या का एक समाधान और जीवन होता है। अनमोल है. सुश्री आयुषी, बी.ए. मंच संचालन सेमेस्टर 5 ने किया। सुश्री वंशिका ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर सुश्री श्रुति बिदानी और सुश्री निधि शर्मा ने भी कार्यशाला में भाग लिया। कार्यशाला में विभिन्न संकायों के 100 से अधिक छात्रों ने भाग लिया।