जालंधर, 31 मार्च (कबीर सौंधी) : पंजाब सरकार द्वारा लगाई पाबंदी के बावजूद जालन्धर में अवैध कालोनियों का आंकड़ा बड़ता ही जा रहा है कालोनाईजरों के दिल से नगर निगम का डर बिल्कुल खत्म हो चुका है। ऐसी सैंकड़ों अवैध कालोनियों की निगमस्तर पर 1800 से ज्यादा शिकायतें पैडिंग हैं जिनके खिलाफ कोई कारवाई नहीं हो रही।
लिहाजा शिकायतकर्ता निगम कमिशनर की कार्यप्रणाली से खफा होकर लोकल बॉडी विभाग के सैक्टरी तथा सीएम आफिस तक शिकायतें भेज रहे हैं। आज इसी कड़ी में चंडीगढ़ से पड़ी फटकार के बाद निगम कमिशनर अभिजीत कपलिश ने होशियारपुर रोड पर स्थित होटल इंपीरियल मैनोर के साथ काटी जा रही 6 एकड़ की अवैध कालोनी को डिमोलिश करने के लिए टीम को भेजा।
यह कालोनी बीते कुछ ही समय पर पहले शुरु हुई और यहां मिट्टी डाल कर सड़कें भी बिछाई जा रही थी। शातिर कालोनाईजर की ओर से यहां प्लाट बेचने के लिए ग्राहकों को कई तरह के प्रलोबन दिए जा रहे थे कि यह कालोनी पंजाब सरकार द्वारा मंजूरशुदा है तथा निगम का कोई भी अधिकारी इस कालोनी पर एक्शन नहीं लेगा। यह भी जानकारी मिली है कि इस कालोनी में 50 से ज्यादा प्लाट प्राप्टी डीलरों ने बुक करवा लिए थे। मगर अब कालोनाईजर तथा निगमस्तर पर अधिकारियों की मिलीभगत का पर्दाफाश करते हुए सीएम मान ने ऐसी सभी अवैध कालोनियों पर डिच चलाने के लिए सख्त आदेश जारी कर दिए हैं।
निगम के अधिकारियों का कहना है कि जिस अवैध कॉलोनी में अवैध निर्माण को गिराया गया है, इसके मालिकों ने निगम के खजाने को बहुत मोटा चूना लगाया है। निगम के अधिकारियों ने कहा कि अवैध तरीके से कॉलोनी काट कर करीब एक करोड़ रुपए की सीएलयू फीस की चोरी की गई है। बिना लैंड यूज चेंज करवाए ही प्लाट बेचे जा रहे थे।
अमर पैलेस के भी गिराई अवैध इमारतें
नगर निगम के टीम ने सुबह-सुबह दो जगह कार्रवाई की। इम्पीरियल पैलेस के बाद निगम की बिल्डिंग ब्रांच ने ढिलवां रोड पर स्थित अमर पैलेस के पास भी अवैध तरीके से बनाई जा रही इमारतों पर कार्रवाई की है। बिल्डिंग ब्रांच की टीम ने अमर पैलेस के पास बनाई जा रही दो कॉमर्शियल इमारतों पर कार्रवाई की है। दोनों इमारतों में तोड़फोड़ कर उन्हें ध्वस्त कर दिया गया है। यह कालोनी कांग्रेसी नेता की शह पर काटी गई थी इन अवैध रूप से बनाई जा रही कॉमर्शियल इमारतों के मालिकों को भी निगम ने नोटिस जारी किया था। दोनों इमारतों की निगम की स्वीकृति और सीएलयू संबंधी दस्तावेज मांगे गए थे, लेकिन इन इमारतों को निर्माण करने वालों ने न तो निगम में कोई दस्तावेज दिखाए और न ही निर्माण कार्य को रोका। जिस पर आज डिमोलिशन की कार्रवाई की गई।