
चंडीगढ़, 07 अप्रैल (ब्यूरो) पंजाब के 18 साल पुराने मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में मोहाली स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने 4 पुलिस अधिकारियों को 5-5 साल की सजा सुनाई है।
इनमें तत्कालीन एसएसपी दविंदर सिंह गरचा, पूर्व एसपी हेडक्वार्टर मोगा परमदीप सिंह संधू, पूर्व एसएचओ थाना सिटी मोगा रमन कुमार और पुलिस स्टेशन मोगा के तत्कालीन एसएचओ, पुलिस स्टेशन सिटी मोगा इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह शामिल है।
कोर्ट ने 2-2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। पुलिस इंस्पेक्टर रमन को एक अन्य धारा में तीन साल की साज और एक लाख जुर्माना भी लगा है।
बता दें कि कोर्ट ने 29 मार्च को इस मामले में चारों को दोषी ठहराया गया था। अकाली नेता तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिंह उर्फ मक्खन बराड़ और सुखराज सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
अकाली-भाजपा सरकार के सामने आया केस
यह मामला 2007 में उस समय सामने आया था, जब राज्य में अकाली-भाजपा सरकार थी। मोगा के थाना सिटी ने जगराओं के एक गांव की लड़की की शिकायत पर गैंग रेप का मामला दर्ज किया था।
इसके बाद पीड़ित लड़की के धारा-164 के बयान दर्ज किए। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने केस में खेल किया।
उन्होंने केस में कई व्यापारियों और राजनेताओं के नाम शामिल करने शुरू कर दिए।
हालांकि इस दौरान एक नेता ने पुलिस के पैसे मांगने की ऑडियो रिकॉर्ड कर ली। इससे यह मामला सुर्खियों में आ गया।
HC ने कहा जम्मू सेक्स स्कैंडल से कम नहीं
जब इस मामले में राजनेताओं और व्यापारियों के नाम आने लगे, मीडिया में यह केस सुर्खियां बनने लगा तो 12 नवंबर 2007 को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया।
साथ ही पुलिस से इस मामले की रिपोर्ट मांगी। इसके बाद सारे केस की जांच करने के बाद हाईकोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था।
उस समय अदालत ने टिप्पणी की थी कि यह केस जम्मू सेक्स स्कैंडल से कम नहीं लगता है।
अमीर लोगों को बनाते थे आरोपी
इस मामले में पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से दो महिलाएं भोले-भाले व्यापारियों और कारोबारियों को फंसाती थीं। उनसे मोटी रकम वसूलती थीं।
बाद में जांच में उन्हें क्लीनचिट दे जाती थी। मामले की जांच आगे बढ़ी तो कुछ पुलिस अफसरों को सीबीआई ने गिरफ्तार भी किया।
हालांकि अकाली नेता बरजिंदर सिंह मक्खन बराड़, अकाली दल के जिला अध्यक्ष अमरजीत सिंह गिल को बरी कर दिया था।
सरकारी गवाह बनी महिला की हुई थी हत्या
इस मामले में मनप्रीत कौर नाम की महिला को सरकारी गवाह बनाया गया। हालांकि बाद में अदालत ने उसे विरोधी घोषित किया।
इस वजह से उसके खिलाफ मोहाली अदालत में अलग से कार्रवाई शुरू हुई। इसके अलावा रणबीर सिंह उर्फ राणू और करमजीत सिंह सरकारी गवाह बने।
हालांकि इस मामले में सरकारी गवाह बनी मनजीत कौर जीरा के पास नाम बदलकर रह रही थी। उस समय वह गर्भवती थी। साल 2018 में उसकी और उसके पति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।