जालंधर, 16 सितंबर (ब्यूरो) : विधानसभा चुनाव के रंग में रंग चुके दोआबा की जालंधर कैंट सीट पर मुकाबला रोचक देखने को मिल सकता है। बेशक अभी कई दलों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन जिन्होंने पत्ते शो कर दिए हैं उन्होंने दुश्मन के खेमे में सुगबुगाहट तेज कर दी है। यहां से शिअद प्रधान सुखबीर बादल ने जगबीर बराड़ को टिकट दी है। बराड़ के नाम से हालांकि सरबजीत मक्कड़ व उनके समर्थकों में रोष है लेकिन बराड़ ही वह शख्स हैं जिन्होंने इस सीट को पहली बार शिअद की झोली में डाला था। सुखबीर बादल को पता है कि बराड़ का कद उन अकाली नेताओं से बड़ा है जोकि चुनावी टिकट और फंड के लिए काम आते हैं जबकि बराड़ की आम वोटर से पकड़ मजबूत हैं।
बात कांग्रेस की करें तो यहां से मौजूदल विधायक परगट सिंह हैं। परगट सिंह की छवि बेशक साफ है लेकिन कैप्टन-सिद्धू खेमे की गुटबाजी का असर वोटों पर पडऩा लाजिमी है। परगट सिंह नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे में हैं ऐसे में कैप्टन खेमे के कांग्रेसी नहीं चाहेंगे कि परगट फिर जीत का गोल मार दें इसीलिए इस गुटबाजी का फायदा जगबीर बराड़ को मिल सकता है। वहीं आम आदमी पार्टी यहां से पूर्व खिलाड़ी सोढ़ी को मैदान में उतार सकती है लेकिन जगबीर बराड़ और परगट के मुकाबले सोढ़ी ज्यादा नामचीन नाम नहीं है वहीं भाजपा को तो यहां उम्मीदवार मिलना भी मुश्किल हो सकता है। हालांकि भाजपा के टिकट के लिए दावे शुरू हो गए हैं।
ओवरआल बात की जाए तो इस सीट पर अकाली दल के बराड़ ही बाजी मार सकते हैं क्योंकि परगट सिंह को उनके अपने ही घेरने को तैयार हैं और यहां से जीतना आम आदमी पार्टी व भाजपा के बूते की बात नहीं है। वैसे भी कैंट में ग्रामीण वोट बहुत ज्यादा है इसी वोट का फायदा अकाली दल उठा सकता है। अकाली दल का शहरों में न सही गांवों में रसूख काफी ज्यादा है। इन्हीं गांवों में बराड़ को जनाधार काफी अच्छा है। सिख और दलित वोट की पहली पसंद बराड़ बन चुके हैं। बहरहाल यह सब फिलहाल की बातें है और राजनीति में रुचि रखने वाले पाठक जानतें ही है कि राजनिति में आए दिन रूझान बदलते रहते है। इसका कयास लगाना मुश्किल ही नहीं बल्कि असम्भव है l खैर बने रहे हमारे साथ, फिर आएंगे आप लोगों के पास नए रुझान के साथ l