ब्लड मनी देकर दुबई में सजायाफ्ता सोहन लाल को फांसी की सजा से बचाया : डॉ. एसपी सिंह ओबराए
डॉ. एसपी सिंह ओबराए की बदौलत मिला दूसरा जीवन : सोहन लाल
अब तक 117 युवाओं को मौत की सजा से बचाया : डॉ. एसपी सिंह ओबराए
जालंधर, 10 सितंबर (कबीर सौंधी) : दुबई के कारोबारी व सरबत का भला चैरिटेबल ट्रस्ट के मुखी डॉ. एसपी सिंह ओबराए ने एक बार फिर दुबई में मौत की सजा भुगत रहे कपूरथला जिले के गांव जैनपुर के सोहन लाल को अपने पास से ब्लड मनी देकर मौत के मुंह से बचाकर अपनी सेवा के इतिहास में एक ओर सुनहरी पन्ना जोड़ दिया है। जान बचाकर अपने परिवार के पास पहुंचे सोहन लाल और उसके पारिवारिक सदस्यों की मौजुदगी में वीरवार को डॉ. एसपी सिंह ओबराए ने जालंधर में प्रेसवार्ता की। डॉ. ओबराए ने बताया कि दुबई में 9 जून 2016 को हुए एक झगड़े दौरान जालंधर जिले की तहसील शाहकोट के गांव डडहा दौलतपुर के रहने वाले जसवीर सिंह की मौत हो गई थी। इस केस में दुबई पुलिस ने सोहन लाल को गिरफ्तार कर लिया था और बाद में केस चलने दौरान अदालत ने उसे फांसी की सजा सुना दी थी। उन्होंने बताया कि इस केस के हल संबंधी सेवानिवृत्त आईपीएस सज्जण सिंह चीमा ने उनसे बातचीत की थी।
इसके बाद उन्होंने पीड़ित परिवार को ब्लड मनी लेने के लिए राजी करवाया। फिर मौत की सजायाफ्ता सोहन लाल पुत्र क्रम चंद का कोर्ट केस लड़ा और पीड़ित परिवार को अपने पास से ब्लड मनी देकर उसकी फांसी माफ करवाई। सोहन लाल करीब 5 वर्ष 2 महीनों के बाद जेल की कोठरी में से निकाल कर अब जाकर अपने परिवार वापिस आया है। फांसी की सजा से बचकर आए सोहन लाल ने बताया कि उसने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी कि अब वह कभी अपने परिवार को नहीं मिल सकेगा। लेकिन डॉ. ओबराए ने उसके लिए कानूनी लड़ाई लड़कर और ब्लड मनी देकर उसे एक नया जीवन दिया है। सोहन लाल और उसके पारिवारिक सदस्यों ने डॉ. ओबराए का आभार जताते करते कहा कि वह बहुत खुश हैं। इस मौके पर ट्रस्ट के दोआबा जोन के अध्य्क्ष अमरजोत सिंह, सतनाम सिंह मानक, सेवानिवृत्त आईपीएस सज्जण सिंह चीमा, आत्म प्रकाश सिंह, विनोद भल्ला और रमन बहल आदि मौजूद थे।
सोहन लाल
डॉ. ओबराए ने बताया कि उनकी तरफ से अब तक अरब जेलों से 117 युवाओं को फांसी तथा उम्र कैद से बचाया गया है। इनमें 85 युवा पंजाब, 2 हरियाणा, 3 हैदराबाद, 1 गुजरात, 1 बिहार, 2 महाराष्ट्र, 17 पाकिस्तान, 1 फिलपाईन और 5 बंगलादेश के साथ सबंधित हैं। इसके अलावा वह अब तक 249 लोगों के पार्थिव शव भी अरब देशों से उनके परिजनों तक पहुंचा चुके हैं।