सुरेंद्र चौधरी विधायक को बचाने में लगी सरकार
पंजाब में कानून व्यवस्था किस प्रकार से राजनीतिक लोगों के दबाव में काम कर रही है इसका स्पष्ट सबूत गत दिनों गौशाला संचालक धर्मवीर धम्मा द्वारा की गई खुदकुशी के मामले में देखने को मिल रहा है| धम्मा ने फेसबुक पर लाइव होकर जहरीला पदार्थ पिया था और उसकी खुदकुशी के लिए उसने करतारपुर के कांग्रेसी विधायक सुरेंद्र चौधरी, सीआईऐ जालंधर के इंचार्ज सब इंस्पेक्टर पुष्प बाली सहित अन्य कुछ लोगों के नाम लिए थे |
जहरीला पदार्थ पीने के कुछ घंटों बाद धरमवीर की मौत हो गई था | इस मामले में कल पुलिस ने 3 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी परंतु इस एफआईआर में सब इंस्पेक्टर पुष्प बाली तथा कांग्रेसी विधायक सुरेंद्र चौधरी को बाहर रखा गया था, परंतु लगातार मीडिया के प्रेशर के बाद आज सीआईए इंस्पेक्टर पुष्प बाली का नाम एफआईआर में दर्ज कर लिया गया है|
परंतु अभी तक भी करतारपुर के विधायक सुरेंद्र चौधरी का नाम एफआईआर में दर्ज नहीं किया गया| हैरानी की बात है अगर यही किसी और व्यक्ति का नाम खुदकुशी करने वाले ने लिया होता तो अब तक उसका पूरा परिवार पुलिस ने उठा लिया होता| परंतु मौजूदा कांग्रेसी विधायक का दबाव किस कदर कानून व्यवस्था पर भारी है कि आज तक उस पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई |
वहीं दूसरी ओर हैरानीजनक तरीके से विरोधी पार्टियां भी इस सारे मामले बारे चुप्पी धारण किए हुए हैं| शायद आगामी चुनावों को देखते हुए सभी इस मामले में तेल देखो तेल की धार देखो वाली नीति अपनाए बैठे हैं| देखना होगा कि जिला पुलिस इस मामले में राजनीतिक दबाव के चलते कितनी देर विधायक का नाम FIR से बाहर रख पाती है|
वहीं दूसरी ओर जानकार बताते हैं कि धर्मवीर के परिवार वालों ने है तब तक उनका संस्कार ना करने का फैसला किया है जब तक कांग्रेसी विधायक सुरेंद्र चौधरी पर एफ आई आर दर्ज नहीं हो जाती |