अकाली उम्मीदवार की इस दौड़ में भूमिका ना के बराबर
जालंधर, (धरमिंदर सोंधी) : आज हम बात करेंगे जालंधर सेंट्रल हलके के उम्मीदवारों और किस उम्मीदवार को इस खेल में कौन सा पदक मिलेगा। यहां आपको यह बताना भी अनिवार्य है कि जालंधर सेंट्रल में कुल 14 पार्षद हैं जिसमें 11 पार्षद कांग्रेस के और तीन भाजपा पार्टी से संबंधित है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जालंधर सेंट्रल से मौजूदा विधायक राजेंद्र बेरी की जनता में छवि साफ और ईमानदार होने के कारण भी लोगों का रुझान बेरी की और ही दिख रहा है भले ही भाजपा पंजाब में कृषि कानून को लेकर अपना आधार खो चुकी है मगर सेंट्रल हलके में भाजपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोरंजन कालिया भी ठोस कैंडिडेट हैं और सेंट्रल में भाजपा के तीन पार्षद से और भी बल मिलता है, इससे भी अहम अकाली-भाजपा गठबंधन में अपने कैबिनेट मंत्री दौरान मनोरंजन कालिया ने करीब पंजाब भर में दस हजार मुलाजिम पक्के करवाए थे और मोहल्ला कमेटियों को भंग करके इन्हें नियुक्ति पत्र दिलवाए थे जालंधर में ही उसमें करीब 12 सौ लोगों को पका करवाया था सूत्रों के मुताबिक अगर पार्टी राजेंद्र बेरी पर फिर से भरोसा करती है तो उनका जीतना अनिवार्य है अगर आम आदमी की बात करें तो आम आदमी से संभावित उम्मीदवार डॉक्टर संजीव शर्मा ही है मगर उनका भी जीतना असंभव ही लग रहा है क्योंकि ज्यादातर उनकी एक्टिविटीज पोश एरिया में ही रहती है यह भी एक बड़ा कारण है कि वह इस जीत से कोसों दूर है अगर बात करें अकाली दल के उम्मीदवार की तो वह इस दौड़ की रेस में ही नहीं है उसके कई कारण है क्योंकि यहां सेंट्रल हलके में ना तो अकाली दल का कोई पार्षद है और ना ही कोई आधार है पार्टी सुप्रीमो ने किस आधार पर ऐसे उम्मीदवार को घोषित किया अगर बात करें वाल्मीकि समाज की तो उसमें भी बहुत बड़ा हिस्सा इस उम्मीदवार से नाराज हैं उसका मुख्य कारण बीते दिनों भगवान वाल्मीकि आश्रम शक्तिनगर के चुनाव में इस उम्मीदवार ने एक प्रत्याशी का खुलकर साथ दिया था उससे भी अहम सेंट्रल हलके में वालमीकि समुदाय की 10 हजार के करीब वोट है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार अकाली दल पार्टी के अपने सर्वे में वह सेंट्रल टिकट पर अपनी जीत का दावा कर चुके हैं अब यह तो भविष्य में ही पता चलेगा कि ऊंट किस और करवट लेता है और किस उम्मीदवार को स्वर्ण पदक मिलेगा ? बहरहाल यह सब फिलहाल की बातें है और राजनीति में रुचि रखने वाले पाठक जानतें ही है कि राजनिति में आए दिन रूझान बदलते रहते है। इसका कयास लगाना मुश्किल ही नहीं बल्कि असम्भव है l खैर बने रहे हमारे साथ, फिर आएंगे आप लोगों के पास नए रुझान के साथ !