कपूरथला, 05 अगस्त (रवि कुमार) : छात्रों के जीवन में खेलों का विशेष महत्व है।इसलिए हमें अपने बच्चों को खेलों के प्रति जागरूक करना चाहिए।क्योंकि खेलों से हमारा शारीरिक विकास तो होता ही है साथ में छात्रों में आपसी भाईचारा भी बढ़ता है।हमारे जीवन में जितना जरूरी शिक्षित होना है उतना ही जरूरी हमारे जीवन में खेल भी है।क्योंकि हम खेलों के माध्यम से भी अपने कैरियर को अनेक ऊंचाईयो तक ले जाकर अपने माता पिता व देश का नाम रोशन कर सकते है।अब अभिभावकों को यह भी सोचना चाहिए कि खेल जीवन का अभिन्न अंग होता है।इससे बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के साथ ही सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।पढ़ाई के साथ अभिभावक अपने बच्चों को उनकी प्रतिभा के अनुरूप खेलने के लिए प्रेरित करें।
यह बात कांग्रेस सपोर्ट्स सेल के प्रदेशाध्क्षय राजीव वालिया ने कही।राजीव वालिया पिछले 22 साल से युवाओं को खेलों के प्रति जागरूक कर रहे हैं।वह स्वयं भी खेलों में विशेषकर मार्शल आट में रुचि रखते हैं।साथ में युवाओं को भी अभ्यास करवाते हैं।इसी का परिणाम है कि राजीव वालिया स्वयं 22 साल से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की मार्शल आट चैंपियनशिपों में पदक जीत रहे हैं।उनके द्वारा प्रशिक्षित बच्चे भी राज्य व राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में पदक जीत रहे हैं।कपूरथला निवासी राजीव वालिया इस समय बिजनसमैन हैं।राजीव वालिया की बचपन से ही खेलों में रुचि रही है।राजीव वालिया जहां मार्शल आट का स्वयं अभ्यास करते हैं वहीं अपने पंजाब के युवाओं को भी विभिन्न तरह की दौड़,ऊंची कूद व लंबी कूद का निश्शुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं।राजीव वालिया ने कहा कि अधिकांश अभिभावक बच्चों को घर से बाहर निकलने ही नहीं देते।उन्हें घर पर ही कंप्यूटर या मोबाइल पर गेम खेलने की सलाह देते हैं।शहर के कई स्कूलों में बच्चों को खेलने के मैदानों प्रतिबंधित कर दिया गया है।आज के अधिकांश अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चे भी अन्य बच्चों की तरह परीक्षाओं में 90 प्रतिशत से ऊपर स्कोर करें।यही कारण है कि स्कूल से आने के बाद भी उन्हें ट्यूशन करने के लिए भेज दिया जाता है।बच्चों में नर्सरी स्तर से खेल की नींव डालनी होगी।भिन्न-भिन्न खेलों के लिए काम कर रहे संगठनों को अपनी साख ठीक करनी होगी।तमाम परेशानियों के बीच कोच को हार नहीं माननी होगी।राजीव वालिया ने कहा कि गांव की मिट्टी में ऐसी ताकत है कि वहां के बच्चे स्वाभाविक रूप से तंदरुस्त होते हैं।वहां के बच्चे को प्लेटफॉर्म मिले तो वे शहरी बच्चों से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।शहर के खराब पड़े मैदानों को विकसित करने की जरूरत है।जमीनी स्तर से खेलों को बढ़ावा मिले।
बच्चों को छोटी उम्र से ही उनके पसंदीदा खेल की ओर मोड़ा जाए।राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उम्दा प्रदर्शन करने के लिए दस साल की कड़ी मेहनत जरूरी है।हम क्रिकेट के अलावा कुछ सोचते ही नहीं।कई लोगों को तो यह भी नहीं पता कि हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है।जबकि क्रिकेट के अलावा भी अन्य खेलों में शानदार कॅरियर है।यदि आप खिलाड़ी हैं और लड़की हैं तो समाज आगे नहीं बढ़ने देता।आस पड़ोस के लोग ताने देते हैं कि पढ़ाई छोड़कर खेलने जा रही है।लड़कियां यदि खेलना चाहती हैं तो उन्हें आगे बढ़ने दिया जाए।अभिभावक तो सपोर्ट करते हैं,लेकिन अन्य लोगों से प्रोत्साहन नहीं मिलता है।लोग क्यों नहीं समझते कि क्रिकेट के अलावा टेनिस,हॅाकी,फुटबॉल आदि में भी कॅरियर है।इस मौके पर कोच पांडव राय, कुलविंदर सिंह,लव कुश,साहिल, रोहित, रेहान वालिया,गुरविंदर सिंह आदि उपस्थित थे।