देशभर में पिछले दिनों से कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार लोगों की जिंदगी पर कहर बनकर टूट रही है, जिससे हालात बदतर बने हुए हैं। इस बीच राहत की एक बड़ी खबर सामने आई है।
अब पॉजिटिव मामलों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। एक सप्ताह पहले करीब 4 लाख मामले रोजाना आ रहे थे, लेकिन मंगलवार सुबह की रिपोर्ट में 2.6 लाख केसों का दावा किया गया है। इससे साफ जाहिर होता है कि कोरोना की चेन लगातार टूटती जा रही है, लेकिन खतरा अभी भी बरकरार बना हुआ है।
अगर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बात करें तो आंकड़े इस ओर संकेत करते हैं कि महामारी का प्रभाव घट गया है। राजधानी में दूसरी लहर में पीक की तुलना में इस समय हर 5 में से एक नया मामला दर्ज हो रहा है। कई अन्य आंकड़े भी इसी तथ्य की ओर इशारा करते हैं।
उदाहरण के लिए, दिल्ली का 0.57 का आर-वैल्यू दिसंबर 2020 के स्तर के करीब है। अप्रैल के मध्य में इसने 2.3 को छुआ, जिसका मतलब यह हुआ कि एक कोरोना संक्रमित व्यक्ति दो लोगों को संक्रमित कर सकता है, लेकिन तब से यह गिर रहा है।
अन्य संकेतक जैसे पॉजिटिविटी रेट (टेस्ट किए गए कुल व्यक्तियों में से पॉजिटिव होने वाले लोगों की संख्या) और नए मामलों की संख्या भी यह इशारा करते हैं कि दिल्ली में शायद सबसे खराब दौर खत्म हो गया है, कम से कम कुछ समय के लिए।
राष्ट्रीय स्तर पर भी, औसतन साप्ताहिक नए केसों के मामलों में खासी गिरावट देखने को मिली है। एक्टिव केस लोड 16 मई को करीब एक लाख और उसके अगले एक दिन 1.6 लाख पर आ गया। अधिकांश राज्यों में पॉजिटिविटी रेट में गिरावट आई है। आर-वैल्यू 0.9 से नीचे चला गया है। वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, 1 से नीचे का आर-वैल्यू बताता है कि संक्रमण धीमा हो सकता है।
वहीं, देश के अधिकांश हिस्सों में लॉकडाउन ने खतरनाक वायरस को फैलने से रोकने में मदद की है, और टीकाकरण कार्यक्रम, जो अभी शुरुआती अवस्था में है, लेकिन इसका प्रभाव पड़ा है। नीचे दिए गए चार्ट रोजाना दर्ज नए मामलों, मौतों और आर-वैल्यू भारत तथा कुछ प्रमुख राज्यों की स्थिति को दर्शाते हैं।
दिल्ली और उत्तर प्रदेश में रोजाना दर्ज होने वाले नए मामलों में सबसे ज्यादा गिरावट रही, और महाराष्ट्र भी अहम है, क्योंकि भारत के कुल नए केसों में इन तीन राज्यों का खासा योगदान रहा है।