जालंधर, 02 सितंबर (कबीर सौंधी) : रुद्रसेना संगठन द्वारा श्रावण माह में शिवपुरी धाम में चल रहे 21 जुलाई से 30 अगस्त तक रूद्राभिषेक के 41 दिन पूर्ण हो गए हैं।रूद्र सेना सगठन के चेयरमेन व शिव योगी साधक दयाल वर्मा के मार्गदर्शन पर शिवपुरी धाम किशनपुरा मंदिर के पंडित के दोबारा पूजन कर रूद्राभिषेक किया गया।
रूद्राभिषेक में भगवान शिवा भोलेनाथ बाबा जी को गंगा जल, दूध, गन्ने का रस, इत्र व साईवाल गऊ माता जी के दूध से अभिषेक करवाया गया। संदीप वर्मा ने कहा कि शिव जी को प्रसन्न करने के लिए सावन में रुद्राभिषेक सबसे उत्तम है। रुद्राभिषेक एक पूजा और धार्मिक क्रिया है, जो भगवान शिव के भक्तों द्वारा की जाती है। इस प्रक्रिया में शिवलिंग पर जल, धूप, दीप और बिल्वपत्र की अर्पण किया जाता है और मंत्रों का जाप भी किया जाता है। रुद्राभिषेक का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। यह पूजा भक्ति और समर्पण का एक विशेष प्रकार है, जिसमें शिव के गुणों को स्मरण करते हुए उनकी कृपा प्राप्ति का प्रयास किया जाता है। रुद्राभिषेक दो शब्दों रुद्र और अभिषेक से मिलकर बना है।
भगवान शिव को ही रुद्र भी कहा जाता है। वहीं अभिषेक का अर्थ है स्नान कराना। इस प्रकार से रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान शिव का अभिषेक। इसलिए शिव पूजा में रुद्राभिषेक जरूर कराते हैं। इससे शिव जी प्रसन्न होते हैं। इस अवसर पर रुद्र सेना संगठन के चेयरमैन दयाल वर्मा, अनिल, शेखर आंनद, विक्रम चंद, करण गगोत्ररा, सतीश, जोजी, सोनू, माधव, टिका भंडारी, अनिल कुमार व अन्य शिव भक्त उपस्थित रहे।