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पी.सी.एम.एस.डी. कॉलेज फॉर वुमेन, जालंधर में ‘संस्कृत सप्ताह’ मनाने के लिए ‘संस्कृत सम्मेलन’ का आयोजन

जालंधर, 02 सितंबर (धर्मेंद्र सौंधी) : पी.सी.एम.एस.डी. कॉलेज फॉर वुमेन, जालंधर में ‘संस्कृत सम्मेलन’ आयोजित किया गया। यह दुनिया की सबसे समृद्ध भाषाओं में से एक की हमारी सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास था। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। जिसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार किया गया। संस्कृत विभाग के छात्रों द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। प्राचार्य प्रो. (डॉ.) पूजा पराशर ने अतिथियों का औपचारिक स्वागत किया। जिसके बाद कार्यक्रम के आयोजक डॉ. उदयन आर्य ने दर्शकों को संबोधित किया। उन्होंने ‘संस्कृत दिवस’ के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए संस्था के प्रति आभार व्यक्त किया।

प्रसिद्ध व्यवसायी और परोपकारी श्री सुधीर शर्मा इस दिन के मुख्य अतिथि थे। सुधीर शर्मा जी जरूरतमंदों और वंचित लोगों के प्रति समर्पण का भाव रखते है तथा अपना पैसा नेक कार्यों में निवेश करते हैं। श्री नरेन्द्र (क्षेत्रीय संगठन मंत्री, संस्कृत भारती) सत्र के मुख्य वक्ता थे। उन्होंने संस्कृत की हमारी भाषाई जड़ों की ओर वापस लौटने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा अपने अस्तित्व को सुधारने के लिए व्यक्ति को ‘गायत्री मंत्र’ का जाप करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व एक परिवार है जैसा कि ‘वसुदेव कटुंबकम’ की अवधारणा में बताया गया है और हमें इस परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में संस्कृत शास्त्री के अथक प्रयासों के कारण वर्ष 2023 में हिमाचल प्रदेश राज्य में संस्कृत भाषा को दूसरी राज्य भाषा का दर्जा दिया गया है।

‘आर्य समाज संस्था’ से श्री निधि कपूर ‘सारस्वत’ अतिथि थीं। उन्होंने मंत्र जाप की प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डाला जो मानवता के लिए जीवन परिवर्तनकारी हो सकता है। उन्होंने कहा कि वह अपने बच्चों को इन विस्तृत मंत्रों का जाप करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं ताकि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें। उनके साथ इसी संस्था की आरती कपूर भी थीं। उद्योगपति श्री सर्वेश चड्ढा भी इस कार्यक्रम में शामिल ही हुए। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. उदयन ने किया। उन्होंने उल्लेख किया कि यह कार्यक्रम वास्तव में संस्कृत की स्थायी विरासत और आज की दुनिया में इसकी प्रासंगिकता का एक प्रमाण है। इस सत्र ने उपस्थित लोगों को ऐसे भविष्य के लिए प्रेरित और आशान्वित किया जहां यह प्राचीन भाषा लगातार फलती-फूलती रहेगी। अध्यक्ष श्री नरेश बुधिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री विनोद दादा, प्रबंध समिति के अन्य सदस्यों और प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ.) पूजा पराशर ने आयोजन के सफल समापन के लिए विभाग के प्रयासों की सराहना की।

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