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मैं ना मानूं, मैं तो कर (TAX) चोरी करने वालों को सबक सिखाता हूं।

जालंधर 17 जुलाई (धर्मेन्द्र सौंधी) : पैसा ऐसी चीज है जो कि हर किसी को अपनी और आकर्षित करता है और इसे पाने के लिए सुबह शाम हर किसी की दौड़ लगी रहती है। कोई अपने फर्ज और पद का सही ढंग से इस्तेमाल कर ईमानदारी और प्रतिष्ठा को कायम रखते हुए मेहनताना मिले उसी में संतुष्ट है और कोई अपनी मान, मर्यादा और पद की प्रवाह ना करते हुए अपने काम के प्रति फर्ज को भूलकर दोनों हाथों से पैसा बटोरने में लगे रहते हैं। इस दौड़ में वह यह भी भूल जाते हैं कि वह सरकार द्वारा नियुक्त उच्च पद पर विराजमान है और वह भ्रष्टाचार का रास्ता अपनाने में संकोच नहीं करते। वैसे तो हर सरकारी या निजी विभाग में ऐसी मिसालें देखने को मिलती रहती है। पर आज हम बात करेंगे GST Mobile Wing के एक ऐसे ETO जो कुछ समय पहले ही इंस्पेक्टर से पदोन्नति पाकर ईटीओ बने हैं। जिनका लुधियाना में आलीशान घर है। वह जिस भी गाड़ी को रोकते हैं, उस पर अगर व्यापारी उनके हिसाब से चले तो वह उसके लिए अलग तरह का जुर्माना लगता है अगर उनके हिसाब से ना चले तो उसे अलग तरह का जुर्माना लगता है। जैसे कि किसी को एक ही जुर्म पर 36%, 54%, 72% और किसी को 118% की दर से जुर्माना लगाया जाता है।

हमारे विश्वसनीय सूत्रों अनुसार कई व्यापारियों को अपने घर के पास बुला कर केसों के निपटारे हो जाते हैं और जैसे जैसे शाम ढलने लगती है वैसे वैसे ही गाड़ियों को छोड़ने का सिलसिला शुरू हो जाता है। चाहे साहब इंस्पेक्टर से ETO बन गए हैं पर मिजाज अभी भी इंस्पेक्टर वाले ही हैं। इनकी एक डेढ़ महीना पहले एक ट्रांसपोर्टर और कुछ दिन पहले एक जालंधर के नामी एवं वरिष्ठ वकील से भी झड़प हो चुकी है।इतने कम समय में सरकार के मालिऐ की तरक्की शायद कम हुई है, पर इन साहब की निजी तरक्की सराहनीय है। क्योंकि यह कानून का उल्लंघन करने वालों को पकड़ कर सबक सिखाते हैं, पर वह भी अपने ढंग से। इस खबर के अगले भाग को हम जल्द प्रकाशित करेंगे। तब तक देखना यह है कि ईटीओ साहब अपने मिजाज से मुक्ति पा लेंगे, नहीं तो हम उनकी गति धीमी होने की उम्मीद तो रख सकते हैं।

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