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हरसिमरत कौर बादल ने आम आदमी पार्टी सरकार की सरकारी स्कूली छात्रों को मिड डे मील न देने की नाकामी पर निंदा की

आधे स्कूलों में प्रिंसिपल नही होने पर 14000 खाली पदों को तत्काल भरे जाने की मांग की

चंडीगढ़, 07 जून (ब्यूरो) : पूर्व केंद्रीय मंत्री बीबा हरसिमरत कौर बादल ने आज आम आदमी पार्टी की सरकारी स्कूलों के 2.43 लाख छात्रों को मिड डे मील योजना के दायरे से बाहर रखकर नाकाम रहने के लिए निंदा की है।

यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए बीबा बादल ने कहा,‘‘ यह बेहद निंदनीय है कि एक सरकार जो आम आदमी का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है ,वह बच्चों को पौष्टिक खाने से वंचित कर भूखा रख रही है’’। उन्होने मुख्यमंत्री से इस मामले को तत्काल हल करने के लिए कहते हुए कहा, ‘‘ यह सुनिश्चित करना आपका कर्तव्य है कि हमारे बच्चों को स्कूलों में पौष्टिक भोजन मिले। ऐसा नही करने पर इसकी जिम्मेदारी तय करने और शिक्षा मंत्री को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए।

बीबा बादल ने कहा कि मिड डे मील योजना के संचालन में बड़े पैमाने में खामियां पाई गई है। उन्होने कहा कि यह भी पता चला है कि छात्रों को फ्लेक्सी फंड के तहत पूरा पोषण भरा खाना भी नही मिल रहा है और राज्य इस योजना के लिए बाजरा का प्रस्ताव देने में भी नाकाम रहा है। उन्होने कहा, ‘‘ भोजन का नमूना अप्रूवड लेबोरेटरीज से भी नही लिया जाता है’’। उन्होने कहा कि इससे सरकारी स्कूल के छात्रों की पोषण संबंधी आवश्यकता के प्रति आप सरकार का पूरा उदासीन रवैया दिखाई देता है।

बठिंडा सांसद ने कहा कि जब से आप सरकार ने राज्य की बागडोर संभाली है तब से स्कूली शिक्षा चरमरा गई है। उन्होने कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री स्कूली शिक्षा के दिल्ली माॅडल पर लगातार जोर दे रहे हैं, लेकिन इसे केवल प्रचार स्टंट और विज्ञापनों तक सीमित कर दिया है। उन्होने कहा कि सच्चाई यह है कि राज्य के लगभग आधे स्कूलों में प्रधानाध्यापक नही हैं, जबकि आप सरकार ने सरकार बनने के बाद घोषणा की थी कि एक भी स्कूल बिना प्रिसिपल के नही चलेगा। उन्होने कहा कि साल के अंत तक प्रधानाध्यापकों के और 147 पद रिक्त हो जांएगें। उन्होने कहा कि इसके अलावा प्रधानाध्यापक के 1750 पदों में से 700 पद रिक्त हैं और प्राथमिक स्कूल शिक्षा की स्थिति को बदतर बताते हुए बताया कि शिक्षकों के 14 हजार पद खाली पड़े हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल द्वारा स्थापित मेरिटोरियस स्कूलों के नाम स्कूल आॅफ एमिनेंस में बदलने और करोड़ों रूपये खर्च करने के बजाय मुख्यमंत्री को स्कूली शिक्षा में हुई गड़बड़ी से तुरंत निपटने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होने कहा कि हमारा पहला लक्ष्य प्राथमिक स्कूली शिक्षा को मजबूत करना होना चाहिए और उन्होने मुख्यमंत्री को इस काम पर तत्काल लगने की सलाह दी।

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