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AAP के सियासी दांव से जालंधर के दो सबसे बड़े सियासी खानदान में मची हायतौबा

जालंधर, 15 अप्रैल (धर्मेंद्र सौंधी) : कहते हैं सियासत और मोहब्बत की जंग में सबकुछ जायज है। हो भी यही रहा है। जालंधर लोकसभा उपचुनाव में यह कहावत चरितार्थ हो गई है। इसे चरितार्थ कर दिखाया है AAP के नेताओं ने। सांसदी की कुर्सी के लिए जालंधर के उपचुनाव में ऐसा ही कुछ हो रहा है। यहां बाप-बेटा दुश्मन बन गया, भतीजा अपनी चाची से दुश्मनी कर बैठा है। और तीन सबसे कट्टर सियासी दुश्मन एक दूसरे को गले लगा लिया है।

शुरूआत उस चौधरी परिवार से करते हैं, जो देश की आजादी से एकजुट था, आजाद भारत में राजनीति के दलित पुरोधा माने जाते रहे हैं। बात हो रही है धालीवाल गांव के उस चौधरी की, जिसकी चौधराहट के आगे बड़े से बड़े नेता पानी मांगते थे। मास्टर गुरबंता सिंह से जो राजनीति चौधरी परिवार की चली आ रही थी, जालंधर के इस लोकसभा उपचुनाव में खत्म हो गई। साथ ही खत्म हो चौधरी परिवार की एकजुटता।

जिस चौधरी परिवार को पिछले 100 साल से कोई डिगा नहीं पाया, कोई हिला नहीं पाया, कोई तोड़ नहीं पाया, AAP ने ऐसी सियासी चाल चली कि चौधरी खानदान ही टूट गया। यही नहीं पिछले 100 साल से जिस अंगुराल घराने से रिंकू की कट्टर दुश्मनी थी, सियासत की चाल ऐसी कि अंगुराल ब्रदर्स को रिंकू ने गले लगा लिया।

एक तरफ जहां इस उपचुनाव ने चौधरी खानदान में फूट डाल दी तो दूसरी तरफ पुश्तैनी सियासी कट्टर दुश्मन एक हो गए। जालंधर वेस्ट हलके से साल 2022 का विधानसभा चुनाव में जिन तीन प्रत्याशी एक दूसरे के सामने लड़े थे, वह तीनों अब एक हो गए हैं। कांग्रेस के सुशील रिंकू ने पाला बदलकर AAP ज्वाइन किया और अब सांसदी लड़ रहे हैं। जबकि भाजपा के प्रत्याशी रहे और दो बार चुनाव हारने वाले मोहिंदर भगत ने AAP का दामन थाम लिया। जबकि शीतल अंगुराल AAP के विधायक हैं। ये तीनों अब एक ही पार्टी में हो गए हैं।

भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री चूनीलाल भगत तो रो ही पड़े। चूनीलाल भगत कहते हैं कि उनके बेटे मोहिंदर भगत ने गलत किया। वे भाजपा में पैदा हुए, भाजपा में ही मरेंगे। वे अपने बेटे मोहिंदर भगत के पार्टी छोड़ने पर दुखी हैं। जिससे बाप और बेटे में दूरियां बढ़ गई हैं।

उधर, कांग्रेस छोड़ AAP ज्वाइन करने वाले सुरिंदर चौधरी से पूरा चौधरी परिवार नाराज है। चौधरी परिवार से दिवंगत नेता संतोख चौधरी की पत्नी करमजीत कौर चौधरी खुद सांसदी लड़ रही हैं, ऐसे में भतीजे ने ही चाची के खिलाफ AAP का दामन थाम लिया। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि AAP ने दोआबा के दो दिग्गज परिवार में जबरदस्त फूट डाल दी है।

हालांकि मोहिंदर भगत कहते हैं कि उनके पिता चूनीलाल भगत को भड़काया जा रहा है। मोहिंदर भगत के मुताबिक वे स्वेच्छा से AAP में आए हैं। बाबू जी नाराज हैं, भाजपा उन्हें उकसा रही है। उनके खिलाफ जो प्रेस कांफ्रेंस हुई है, वह भी भाजपा करवा रही है। उन्होंने कहा कि इस उपचुनाव में सुशील रिंकू को जितवाने के लिए काम करेंगे।

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