अपने मन को सुरजमुखी के फूल की तरह बना लो जहां-जहां गुण दिखे वहां-वहां घूम जाओ : नवजीत भारद्वाज
फूलो की होली मां बगलामुखी जी के साथ का आयोजन 9 मार्च दिन गुरुवार को
जालंधर, 02 मार्च (कबीर सौंधी) : मां बगलामुखी धाम नजदीक लम्मां पिंड चौंक होशियारपुर रोड़ पर स्थित गुलमोहर सिटी में धाम के संस्थापक एवं संचालक नवजीत भारद्वाज की अध्यक्षता में सप्ताहिक श्रृंखलाबद्ध मां बगलामुखी हवन यज्ञ करवाया गया। सबसे पहले ब्राह्मणों ने नवग्रह, पंचोपचार, षोढषोपचार, गौरी, गणेश, कुंभ पूजन, मां बगलामुखी जी के निमति मंत्र माला जाप उपरांत मुख्य यजमान रुपिंदर सिंह से सपरिवार पूजा अर्चना उपरांत हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाईं ।
इस यज्ञ में उपस्थित मां भक्तो को आहुतिया डलवाने के बाद नवजीत भारद्वाज ने तुम्ही मेरी माता, तुम्ही मेरे दाता, तुम्ही दीन-बंधु , भाग्यविधाता भजन के साथ इस हवन यज्ञ की शुरुआत हुई। जिसके बाद नवजीत भारद्वाज ने कहा कि समुंद्र का पानी खारा होता है परन्तु उसकी विशालता होती, नदी में कीचड़ होता है परन्तु उसकी निर्मलता होती, गुलाब में अगर कांटे नहीं होते तो उसे स्वर्ण पदक मिल जाता, कोयल का रंग अगर सफेद होता तो वह सर्वगुण संपन्न होती, यह सब दोष दृष्टि है अगर मनुष्य में दोषदृष्टि नहीं होती तो वो कभी का भगवान बन जाता। दोषदृष्टि की वजह से मनुष्य भगवान बनने की भूमिका में आगे नहीं बढ पाया।
अगर किसी तपस्वी की उसके द्वारा की जा रही तपस्या को देखकर उसके दोषों को देखने लगेंगे तो प्रगाढ कर्मों का बंधन होगा तथा भवान्तर में वही कर्म जब उदय में आयेगें तो हमारी तपस्या में बाधक रूप बनेंगे। नवजीत भारद्वाज ने कहा कि जब तक नकारात्मक सोच का त्याग हम नहीं करेंगे तब तक हमारे जीवन में सुख, शांति का विकास नहीं होगा। जिसके पास सकारात्मक सोच है उसका जीवन प्रसन्नता मय रहता है।
सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति बुराइयों में भी अच्छाइयां ढूंढ लेता है। नकारात्मक सोच हमेशा दुखी ही करती है। गुणवान व्यक्ति अपने मन की खिड़की को बंद कर देता है, इसलिए उसके अंतरमन में दोष, बुराइयां रूपी कचरा अंदर प्रवेश नहीं करता है। उन्होंने कहा कि अपने मन को सुरजमुखी के फूल की तरह बना लो जहां-जहां गुण दिखे वहां-वहां घूम जाओ। उन्होने कहा कि प्रेम भक्ति केवल अर्पण भाव का नाम है। इस निराकार के आगे जो तन-मन-धन अर्पण कर देता है और इसी के नाम में खो जाता है, वही इस निरंकार परमात्मा के नजदीक पहुंचता है। यह सच्चा प्यार ऐसा प्यार है, जो बालक और माता के बीच का होता है। मां का सहज प्रेम बच्चे के साथ होता है वो उसका पालन-पोषण या रात-रात भर करती है। इस प्रेम को चार चांद तब लगते है जब दोनों तरफ से प्रेम होता है, जो अध्यात्मिक प्रेम कहलाता है।
इस अवसर पर नीरज कपूर,श्रीकंठ जज, हैरी शंकर शर्मा, विक्र म भसीन, संजीव सोंधी, बलजिंदर सिंह,रविन्द्र बांसल, प्रिंस कुंडल, अनिल चड्डा,रोहित भाटिया, गौरव कोहली, अमरेंद्र कुमार शर्मा,राजेंद्र कत्याल,राकेश प्रभाकर, बलवंत बाला, मुनीश शर्मा, सुरेंद्र शर्मा,रोहित बहल, एडवोकेट राज कुमार, मोहित बहल, अशोक शर्मा, विक्रांत शर्मा, गोपाल मालपानी, राघव चढ्ढा, समीर कपूर, अश्विनी शर्मा, संजीव शर्मा, मुकेश चौधरी, अमरेंद्र सिंह,संजीव सांविरया, मुनीश शर्मा, यज्ञदत्त, राकी,बावा जोशी, पंकज,करन वर्मा, राजेश महाजन, संजीव शर्मा, गुप्ता,मानव शर्मा, राजीव, दिशांत शर्मा,अशोक शर्मा, पंकज, राकेश, ठाकुर बलदेव सिंह,अभिलक्षय चुघ,लक्की,वावा खन्ना, सुनील जग्गी,प्रिंस,पंकज, प्रवीण सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। आरती उपरांत प्रसाद रूपी लंगर भंडारे का भी आयोजन किया गया।