नई दिल्ली, 11 जनवरी (ब्यूरो) : केंद्र सरकार ने एक बार फिर कोयला आयात से जुड़े नियमों को बदल दिया है। केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने सभी बिजली संयंत्रों को कहा है कि सितंबर 2023 की मांग को ध्यान में रखते हुए उनकी तरफ से कुल खपत का 6 फीसद तक कोयला बाहर से आयात करने की व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसा देश में बिजली की खपत बढ़ने की संभावना को देखते हुए किया गया है।
केंद्र द्वारा नई आपूर्ति योजना के तहत 40 प्रतिशत कटौती किए जाने के बाद केंद्र ने अब बिजली उत्पादन कंपनियों को बाहर से ब्लेंडिंग कोयला खरीदने का आदेश दिया है। ब्लेंडिंग कोयले के आयात से पंजाब पर करीब 500 करोड़ रुपए का वित्तीय आर्थिक बोझ पड़ सकता है। पंजाब के थर्मल प्लांट में औसतन 09 दिन का कोयला बचा है और बिजली की मांग आठ हजार मेगावाट से कम नहीं हो रही है।
पंजाब में कोयले की कमी
लहरा प्लांट में रोजाना 12.6 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत है, यहां 9 जनवरी को कोयले की कोई रैक नहीं पहुंची। मौजूदा समय इस प्लांट में सिर्फ साढ़े चार दिन का कोयला बचा है। रोपड़ प्लांट में रोजाना 11.8 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत है। लेकिन अब यहां पांच दिन का कोयला बचा है। जीविके प्लांट में रोजाना 7.8 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत है, लेकिन यहां पर साढ़े सात दिन का कोयला मौजूद है। तलवंडी साबो यूनिट चलने के लिए रोजाना 27.3 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत है लेकिन यहां 2.7 दिन का कोयला बचा है। राजपुर स्थित नाभा पॉवर प्लांट में रोजाना 16.1 मीट्रिक टन कोयले की जररूत है। यहां पर 27.7 दिन का कोयला मौजूद है।
एक साल में तीसरी बार कोयला आयात के नियमों में हुआ बदलाव
बिजली मंत्रालय ने संयंत्रों को यह भी कहा है कि अगर उन्होंने पर्याप्त कोयला आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की तो उनके घरेलू खदानों से दिए जाने वाले कोयले में कटौती की जाएगी। यह पिछले एक वर्ष के भीतर तीसरा मौका है, जब कोयला आयात के नियमों को बदला गया है। बिजली मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि घरेलू कोयला आपूर्ति बढ़ा कर और आपूर्ति व्यवस्था को स्मार्ट बना कर चालू वित्त वर्ष के दौरान देश में बिजली किल्लत को टाल दिया गया है, लेकिन जिस तरह से मांग बढ़ रही है, उसे देखते हुए आने वाले महीनों के लिए तैयार रहना चाहिए।
देश के संयंत्रों के पास 3.4 करोड़ टन कोयला
अभी यह अनुमान है कि अप्रैल से सितंबर, 2023 में देश में कोयले की आपूर्ति मांग से 2.4 करोड़ टन कम रह सकती है। अभी देश के कोयला आधारित संयंत्रों के पास 3.4 करोड़ टन कोयला है, जो 11 दिनों की मांग के लिए पर्याप्त है।
वर्ष 2021-22 में हुई थी कोयले की किल्लत
सनद रहे कि देश की कुल ऊर्जा मांग का अभी 70 फीसद कोयला आधारित बिजली से पूरी होती है। वर्ष 2021-22 में कोयले की कमी होने से अगस्त से नवंबर, 2021 के दौरान देश के कई हिस्से में बिजली की काफी किल्लत हुई थी, लेकिन वर्ष 2022-23 में ऐसी स्थिति नहीं आई है। पिछले वर्ष बिजली मंत्रालय ने 10 फीसद कोयला आयात का नियम लागू किया गया था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया था।