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मोहन सिंह मोहनी ने तहसील काम्प्लेक्स में अपने भाई पर तानी रिवाल्वर और दी जान से मारने की धमकी : छिंदा

यदि पहली शिकायत पर पुलिस कार्रवाई करती तो नही होता मुझ पर दोबारा तहसील काम्प्लेक्स में हमला : छिंदा

 

जालंधर, 2 दिसंबर (धर्मेंद्र सौंधी) : डी.सी. ऑफिस के प्रशासनिक काम्पलैक्स में बूथ नंबर 27 जोकि नामधारी सुरिंद्र सिंह छिंदा के नाम पर है, ने अपने भाई पर जान से मारने की धमकी देने के आरोप लगाए हैं। छिंदा ने आरोप लगाते हुए कहा कि उसके सगा भाई ने शुक्रवार को पुरानी रंजिश के चलते तहसील काम्प्लेक्स में मेरा पीछा किया और मुझ पर रिवाल्वर तानी, जैसे तैसे मैंने वहां से भाग कर अपनी जान बचाई। उसके तुरंत बाद मैंने 112 नं. पर शिकायत कर पुलिस को सूचित कर इस घटना की जानकारी दी। इसके बाद मैंने लिखित रूप में पुलिस कमिश्नर को भी शिकायत दी। जिन्होंने आगे ए.सी.पी. सैंट्रल को मार्क कर दी।

इसके असले की हो निष्पक्ष जांच, क्या यह है लाइसेंसी या अवैध ?

 

छिंदा ने आरोप लगाते हुए कहा कि उसका भाई लंबे समय से उन्हें परेशान कर रहा है जिसको लेकर उन्होंने 21 नवंबर को भी शिकायत पुलिस कमिश्नर को दी थी। जो थाना-1 में मार्क की गई और ड्यूटी‌ अफसर राकेश कुमार को इस बारे में जानकारी है।

पीड़ित ने आरोप लगाया कि उसके (मोहनी) पास जो हथियार हैं, उनकी जांच होनी चाहिए। इसी के साथ जब वे घर से काम के लिए निकलते हैं तो अपने साथियों के साथ भाई पीछा करता है। 28 जून को भाई ने उनके परिवार व पत्नी के साथ भी बदसलूकी की थी जिसके बाद पत्नी ने वुमन हैल्प लाइन नंबर पर शिकायत भी की और पी.सी.आर. कर्मचारी घर पर आए लेकिन तब राजीनामा करवा दिया गया। इसके बाद सितंबर 2022 को उसका भाई खुद का सारा सामान उठा कर ले गया और दूसरी जगह पर रहने लगा। उसके बाद सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर मुझे और मेरे परिवार को बदनाम करने लगा और जान से मारने की धमकियां भी देता था।

पीड़ित छिंदा ने मोहन सिंह मोहनी पर आरोप लगाते कहा कि मोहन सिंह मोहनी झूठी दरख्वास्तें देकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। यदि पुलिस मेरी पहली शिकायत पर सही कारवाई करती और इसके हथियार की निष्पक्ष जांच करती तो मुझ पर दोबारा किसी तरह की धमकी या हमला करने की उसमें हिम्मत न होती।

थाना- 1 के ए.एस.आई , राकेश कुमार‌ को कई बार पीड़ित ने फोन पर शिकायत की, लेकिन उसने मोहन सिंह मोहनी के खिलाफ अभी तक कोई कारवाई नहीं की। अब ज़िक्रयोग बात यह है कि क्या पुलिस मोहन सिंह मोहनी का पक्ष ले रही है या फिर निष्पक्ष जांच करने से कतरा रही है। पुलिस विभाग की कुछ काली भेड़ों के कारण ही पुलिस की छवि खराब हो रही है। क्या जालंधर के नए पुलिस कमिश्नर इन काली भेड़ों को सुधारने में सफल होंगे या फिर पुलिस की काली भेड़ें ऐसे ही पुलिस की छवि खराब करते रहेंगे।जब इस संबंध में मोहनी से बात करनी चाहिए तो उनसे संपर्क नहीं हो सका। जब भी वह अपना पक्ष रखना चाहे हम उसे प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे।

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