बांसवाड़ा, 25 नवंबर (ब्यूरो) : राजस्थान के बांसवाड़ा जिले से अजम मामला सामने आया है। जहां जीवन देने वाली 108 एंबुलेंस के कारण युवक की जान चली गई। गंभीर हालत में मरीज को अस्पताल ले जा रही एंबुलेंस का बीच रास्ते में डीजल खत्म हो गया। जिसके बाद परिजन बाइक पर डीजल लेकर पहुंचे, लेकिन एंबुलेंस स्टार्ट नहीं हुई। परिजन ने एंबुलेंस चालू करने के लिए करीब एक किलोमीटर तक धक्का भी लगाया। लेकिन एंबुलेंस के स्टार्ट ना होने के बाद तंग आकर परिवार ने एंबुलेंस चालक के सामने हाथ जोड़कर उसे दूसरी एंबुलेंस बुलाने की मांग की। 40 मिनट के अंतराल के बाद दूसरी एंबुलेंस घटना स्थल पर पहुंची।
परिवार जैसे ही दूसरी एंबुलेंस के जरिए मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचा, वहां पर मौजूद डॉक्टरों ने मरीज को मृत घोषित कर दिया। जबकि दूसरी एंबुलेंस आने तक मरीज की सांस चल रही थी। घटना सूरजपुरा (सामलिया) जिला प्रतापगढ़ का है। जहां तेजिया गनवा अपनी बेटी के ससुराल भानुपुरा आया हुआ था। 23 नवंबर को तेजपाल खेत में खड़े-खड़े गिर पड़ा। तेजिया की बेटी ने इस बारे में अपने पति मुकेश को बताया। जिसके बाद दामाद ने एंबुलेंस बुलाई। लेकिन एंबुलेंस मरीज को लेकर अचानक रतलाम रोड स्थित टोल के सामने पहुंचकर रुक गई। जब चालक ने चैक किया तो पता चला एंबुलेंस में डीजल खत्म हो गया है।
एंबुलेंस चालक ने मरीज के रिश्तेदार को 500 रुपए देकर बाइक से डीजल लाने भेजा। लेकिन डीजल डालने के बाद भी एंबुलेंस स्टार्ट नहीं हुई। परिवार ने करीब एक किलोमीटर तक धक्का देकर स्टार्ट करने की कोशिश भी की। इसके बाद परिजनों के कहने पर एंबुलेंस चालक ने दूसरे चालक को बुलाकर एंबुलेंस बुलाई, लेकिन इस दौरान हुई देरी में मुकेश के ससुर की मौत हो गई। मुकेश का कहना है कि दूसरी एंबुलेंस आने तक उसके ससुर का दिल धड़क रहा था। अगर समय पर उनका इलाज हो जाता तो वह यह दिन नहीं देख पाते।
मामले में सीएमएचओ डॉक्टर एचएल तबियार ने बताया कि आपात सेवा में 108 एंबुलेंस शामिल हैं। इसके बावजूद डीजल को लेकर लापरवाही बरती गई। फिलहाल यह मामला मेरे सामने नहीं आया है। अगर ऐसा कुछ हुआ है तो हम काम करने वाली ठेकादार एजेंसी को नोटिस देंगे और जवाब मांगेंगे। आज किसी की लापरवाही से मौत हो गई। कल कहीं और होगा। यह लापरवाही माफ करने योग्य नहीं है।