अमृतसर, 28 अगस्त (साहिल गुप्ता) : सिक्ख धर्म के 5वें गुरु, गुरु अर्जन देव जी ने 1604 में आज ही के दिन श्री दरबार साहिब में पहली बार गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया था। तब से लेकर आज तक हर साल श्री दरबार साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश पर्व मनाया जाता है।
आज के दिन सुबह गोल्डन टेंपल में नगर कीर्तन निकाला जाएगा। इसके अलावा गुरुघर, श्री अकाल तख्त साहिब और गुरुद्वारा बाबा अटल राय साहिब सजाए जाएंगे। इस पावन पर्व का मनाने के लिए आज पूरे गोल्डन टेंपल को खुशबू से महकते फूलों से सजाया गया है।
सजावट के लिए 115 किस्म के 110 टन फूल लगाए गए हैं। सुंदर फूलों व लाइटों से सजे श्री दरबार साहिब की खूबसूरती आज देखते ही बन रही है। आज शाम श्री दरबार साहिब में दीपमाला भी की जाएगी और आतिशबाजी भी होगी, जिसे देखने के लिए लाखों लोग पहुंच रहे हैं।
शनिवार को 2 लाख से अधिक लोगों ने गोल्डन टेंपल में माथा टेका था। गुरु अर्जुन देव जी ने 1570 ई. में गुरू रामदास द्वारा निर्मित अमृतसर तालाब के बीच में हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे की नींव रखवाई थी, जिसे वर्तमान में स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस गुरुद्वारे की नींव लाहौर के एक सूफी संत साईं मियां मीर जी से रखवाई गई थी। माना जाता है कि लगभग 400 साल पुराने इस गुरुद्वारे का नक्शा खुद गुरु अर्जुन देव जी ने तैयार किया था।
स्वर्ण मन्दिर में सबसे पहले श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश 1604 में आज ही के दिन किया गया था। 1430 अंग (पन्ने) वाले इस ग्रंथ के पहले प्रकाश पर संगत ने कीर्तन दीवान सजाए और बाबा बुड्ढा जी ने बाणी पढ़ने की शुरुआत की। पहली पातशाही से छठी पातशाही तक अपना जीवन सिख धर्म की सेवा को समर्पित करने वाले बाबा बुड्ढा जी इस ग्रंथ के पहले ग्रंथी बने।
गुरुद्वारा श्री रामसर साहिब वाली जगह गुरु साहिब ने 1603 में भाई गुरदास से बाणी लिखवाने का काम शुरू किया था, जो 1604 में संपन्न हुआ। इसके बाद उसे आदि ग्रंथ नाम दिया गया। गुरु अर्जुन देव ने इसमें बिना कोई भेदभाव किए तमाम विद्वानों और भगतों की बाणी शामिल करते हुए श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी का संपादन का काम किया। उन्होंने रागों के आधार पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित वाणियों का वर्गीकरण किया है।