जालंधर, 18 जुलाई (धर्मेंद्र सौंधी) : प्राचार्य प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन के कुशल मार्गदर्शन में, हंस राज महिला महाविद्यालय, जालंधर के फ्रायडियन साइकोलॉजिकल सोसायटी ने “क्रोध की रोकथाम और नियंत्रण” पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। रिसोर्स पर्सन, सुश्री शिल्पी, काउंसलर, रिवील एंड हील, का स्वागत पीजी मनोविज्ञान विभाग की प्रमुख डॉ. आशमीन कौर ने एचएमवी के छात्रों द्वारा एक प्लांटर और पेंटिंग के साथ किया। संवादात्मक कार्यशाला के दौरान, सुश्री शिल्पी ने क्रोध के प्रमुख बिंदुओं और इसे सफलतापूर्वक प्रबंधित करने की आवश्यकता पर चर्चा की। इसके अलावा, आक्रामकता के तीन रूपों, इसके कारणों के साथ-साथ शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थितियों पर विस्तार से चर्चा की गई। आज के युवाओं में क्रोध की पहचान की रणनीतियों पर भी चर्चा की गई, साथ ही रणनीतियों और नियंत्रण उपायों जैसे रेचन और निर्देशित दृश्यता पर भी चर्चा की गई।
सुश्री शिल्पी ने यह भी बताया कि कैसे आत्म-सम्मान, आत्मविश्वास, अच्छा हास्य और सकारात्मक दृष्टिकोण का महत्व और विकास आक्रामकता को रोकने में मदद कर सकता है और जर्नलिंग और माइंडफुलनेस अभ्यास पर भी प्रकाश डालता है जिससे आक्रामकता को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। कार्यक्रम के दौरान, प्रिंसिपल डॉ अजय सरीन ने यह भी चर्चा की कि हमारी आक्रामकता को नियंत्रित करने की क्षमता किसी व्यक्ति के जीवन के हर पहलू से कैसे फायदेमंद हो सकती है और विभिन्न मुकाबला रणनीतियों पर चर्चा की। समापन के दौरान, सुश्री शिल्पी ने अभ्यास के साथ वर्कशीट सौंपी जिससे बच्चों को अपनी आक्रामकता को नियंत्रित करने के लिए स्रोतों, कारणों और रणनीतियों की पहचान करने में मदद मिली। क्रोध प्रबंधन रणनीतियों पर भी विस्तार से चर्चा की गई। इस कार्यशाला में विभिन्न धाराओं के 100 छात्रों ने भाग लिया, जिन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया और प्रश्न पूछे जिनका उत्तर सुश्री शिल्पी ने दिया। इस अवसर पर संकाय सदस्य सुश्री हरमनजीत कौर, सुश्री प्रज्ञा शर्मा एवं सुश्री श्रुति बिदानी भी उपस्थित थीं।