जालंधर, 21 जून (धर्मेंद्र सौंधी) : 21वीं सदी में स्पाइन (रीड की हड्डी) से होने वाली बीमारियों में काफी इजाफा हुआ है। इसका कारण हमारा खान-पान व लाइफ स्टाइल है। जिस के कारण हमारे अंदर मोटापा का होना है। और लगातार बैठकर काम करने से स्पाइन की समस्याओं में बढ़ोतरी भी है। जिसटके कारण लगातार कमर में दर्द या पैरों में दर्द का होना जो कि एक पैर में या दोनों पैरों में भी होता है। जिससे “स्यािटिका” या री की बीमारी भी कहते हैं।
स्पाइन मास्टर्स यूनिट के सीनियर एंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जन डॉक्टर पंकज त्रिवेदी (वासल हॉस्पिटल जालंधर) ने बताया इंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी से अब करीब 90 से 95% स्पाइन सर्जरी की जाती है। जिसमें मरीज को बेहोश नहीं किया जाता है। और एक सात मिलीमीटर के छोटे से चीरे से ही ऑपरेशन किया जाता है।
ऑपरेशन के दौरान कई बार मरीज अपने फोन पर रिश्तेदारों से बातचीत भी करता है। इसके लिए डॉक्टर को काफी फाइन सर्जरी की ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। इसलिए इस तरह के ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर पूरे भारत में गिने-चुने ही हैं। खास बात यह है कि मरीज शाम को अपने घर जा सकता है और किसी भी तरह की बेल्ट नहीं पहननी पड़ती है। डॉ. त्रिवेदी ने बताया जालंधर (वासल अस्पताल) में उनके पास पूरे भारत से ऑपरेशन करवाने के लिए मरीज आते हैं।
साथ ही साथ एशिया और अफ्रीका से विदेशी मरीज भी आते हैं। क्योंकि इस आधुनिक तकनीक में खर्चा भारत में काफी कम है। डॉक्टर त्रिवेदी ने बताया कि वह इस तरह की सर्जरी पिछले 10 सालों से कर रहे हैं। जालंधर का नाम भारत में इस सर्जरी के लिए काफी खोजा जाता है।