जालंधर, 19 अप्रैल (कबीर सौंधी) : दिल्ली में मेरे बड़े भाई व गुरु श्री हनुमान जी के जन्मोत्सव पर कई अमानवीय तत्वों ने प्रभु भक्तों को चोट पहुंचाई है, कई राजनीतिक दलों का इसमें हाथ है ये सपाष्ट है। श्री गुरु जी के जन्मोत्सव पर भक्तों को प्रताड़ित कर वे सब लोग दंड के भागी बने हैं। जिसका दंड इन्हे जरूर मिलेगा, जल्द ही कुदरत के कहर का सामना करना है इन्हें। प्रभु भक्तों को प्रताड़ित करने वालों को मां भगवती प्रकृति रूप में दंडित करेंगी, ये ऐसा दंड होगा जो सह पाना मुमकिन नहीं है। गुरु भाई श्री भगवान परशुराम जी ने जिस तरह घमंडी और दानवी मानसिकता के लोगों का अंत किया था, जिस तरह मां दुर्गा ने दानवों का अंत किया था उसी तरह अब मां प्रकृति रूप में अमानवीय तत्वों का अंत करेंगी।
इसी के साथ सनातन समाज के बंधुओं से भी कहना चाहता हूं की दिल्ली की जनता/दिल्ली के सनातनियों को भी अपना ही समझें। सोशल मीडिया पर उनके गलत निर्णयों और मुफ्तखोरी के विचारों को दर्शाते हुए अनेकों मैसेज चल रहे हैं। हमें ये समझना होगा की वो भी हमारे अपने ही हैं, भटक गए हैं मानता हूं लेकिन हैं तो हमारे ही। ठीक है मानवी मानसिकता है मुफ्त के पीछे जाने की क्योंकि अपनी क्षमता का ज्ञान ही नही है, जब शिक्षा ही डर की मिली हो तो आत्मविश्वास और स्थिरता कहां से आयेगी। जिस मानव ने 2 पीढ़ियों से यही पड़ा हो की उसके पूर्वज किस किस तरह गुलाम बने रहे, क्या क्या गलत धारणाओं को मानते रहे, केसे वो बस बिना हिम्मत किए उस दुराचार को सहते रहे, वो मानव अपने विकास का केसे सोचे। केसे करे वो अपने जीवन को आत्मनिर्भर बनाने का विचार। सनातन संस्कृति में अपने लोगों को दुत्कार कर छोड़ा नहीं जाता, सनातनी जितने सहनशील हैं उससे कई ज़्यादा ज्ञानवान हैं।
हमारे इतिहास को बदल कर हमें हमारी काबिलियत से दूर करने का षड़यंत्र 2,000 वर्षों से भी पहले से रचा व किया जा रहा है, ज्ञानी सनातनी प्रभु प्रेमियों से निवेदन है जब हमारे अपने लोग हार कर अथवा डर कर हमारे पास आए हैं तो उनकी रक्षा का दायित्व हमारा ही है यही श्री गुरु महादेव जी और प्रभु श्री राम जी ने सिखाया है कृपया श्री प्रभु की सीख का पालन करें और उन्हें आने वाले समय के लिए ज्ञान दें ताकि भविष्य में ऐसी गलती न हो। जितना सनातनी ज्ञानशील होगा उतना ही आत्मविश्वासी और निडर बनेगा और समाज में दरिद्गी के खिलाफ खड़ा भी होगा, भविष्य में कोई ऐसी चेष्ठा न कर सके इसके लिए उनका ज्ञानशिल होना जरूरी है। मैं प्रभु श्री महादेव जी का शिष्य, श्री हनुमान जी का शिष्य व भाई और श्री मां चिंतपूर्णी जी का पुत्र सनातनी समाज को दुबारा पूर्ण भक्ति, ज्ञान और स्थिरता तक लाने को वचन बध हूं। इसके लिए जो भी करना पड़ेगा किया जायेगा।