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नार्थ की चुनावी सियासत में ‘अंदरखाते की जंग’

‘अपनों’ ने दरवाज़े बंद कर कांग्रेस की स्टेज से जताया रोष

राठौर की सेना बनी कठोर, जिसने ‘अपने’ को ही कर दिया कमजोर

भंडारी की नैया में छेद इसलिए पार लगना मुश्किल

 

जालंधर, 19 फरवरी (धर्मेंद्र सौंधी) : जी हां, चुनावी दौर बिल्कुल शिखर पर पहुंच चुका है तथा जोड़-तोड़ की नीति लगातार जारी है। इसी तरह नार्थ हलके से बहुत सारे नेताओं ने कमल के फूल को अलविदा कह कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया है। इसके अलावा कुछ लोग ‘आप’ का झाड़ू भी थाम चुके हैं। ऐसा नहीं कि कोई कांग्रेस या ‘आप’ को छोड़ भाजपा में शामिल न हुआ हो। भाजपा में शामिल होने वालों की चाहे गिनती कम रही पर इधर से उधर का सिलसिला यूं ही चलता रहा। ऐसे में कुछ अंदाजे तथा सवाल भी सामने आ रहे हैं कि किस-किस नेता या वर्कर ने अपनी पार्टी को अलविदा क्यों कहा।

‘अपनों’ ने ही बंद कर लिए दरवाज़े…..

लोगों की मानें तो भाजपा को जालंधर नार्थ में काफी मार झेलनी पड़ी है। चाहे वह किसानों के चलते हो या फिर नार्थ के कैंडीडेट के विरोध में ही क्यों न हो। वहीं नार्थ में केडी भंडारी के लिए बहुत सारे ‘अपनों’ ने ही दरवाज़े बंद कर लिए हैं क्योंकि बहुत सारे समर्थकों के अलावा कुछ खासमखास लोगों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कांग्रेस की स्टेजों से मोर्चे खोल दिए हैं।

राठौर की सेना भी बनी कठोर

वहीं भाजपा के सीनियर नेता राकेश राठौर के कुछ चहेतों ने भी इन चुनावों में अपना गुस्सा जाहिर करते हुए पार्टी को अलविदा कह दिया है। कुछ दिन पहले राठौर के खासमखास युवाओं की गिनती में आने वाले गुरप्रीत सिंह रॉकी ने भाजपा के फूल को कुचल कर किसी ओर पार्टी का पल्ला पकड़ लिया है, जिससे भी काफी कुछ जाहिर होता है।

क्या राठौर की नहीं ली होगी सहमती ?

रॉकी भाजपा ही नहीं बल्कि राठौर के खासमखासों में एक मानें जाने वाले युवा थे, जिनके पार्टी छोड़ने से सियासी गलियारों में खूब चर्चा छिड़ी हुई है। चर्चा चल रही है अगर रॉकी राठौर की सेना के मुख्य सिपाही थे तो क्या उन्होंने बिना राठौर की परमिशन या सलाह से भाजपा को अलविदा कहा होगा। अगर सलाह से पार्टी छोड़ी है तो इससे साफ है कि अंदरखाते भाजपा में क्या चल रहा है तथा अगर बिना परमिशन या बिना सलाह से पार्टी को बाय-बाय बोला है तो राठौर की अपने चहेतों पर पकड़ कमजोर हो चुकी है।

अंदरखाते चल रहा हराने का खेल !

लोगों में सवाल खड़ा हो चुका है कि क्या भंडारी की खिलाफत के लिए बहुत सारे हाथ खड़े हो चुके हैं, जो अंदरखाते अपने इशारों पर गेम घुमाने की कोशिश में हैं? वहीं लोगों का दावा है कि दूसरी ओर कहीं न कहीं पार्टी द्वारा राठौर को इग्नौर करने से भी वर्कर व राठौर सेना खफा चली आ रही है, जो चाहे बाहर से साथ चलने का दावा कर रहे हों पर अंदरखाते कोई ओर ही खिचड़ी बना रहे हैं। लोगों की मानें तो जिस नैया में छेद हो जाए वह पार नहीं लग सकती तथा उसका डूबना निश्चित होता है।

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