ताज़ा खबरधार्मिकपंजाब

मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी में करवाया श्रृंखलाबद्ध सप्ताहिक मां बगलामुखी हवन यज्ञ

जीने के लिए मेहनत करना जरूरी, लेकिन मिलेगा वही जो लिखा है : नवजीत भारद्वाज

जालंधर, 09 दिसंबर (कबीर सौंधी) : मां बगलामुखी धाम नजदीक लम्मां पिंड चौंक होशियारपुर रोड़ पर स्थित गुलमोहर सिटी में धाम के संस्थापक एवं संचालक नवजीत भारद्वाज की अध्यक्षता में साप्ताहिक मां बगलामुखी जी के निमित्त हवन यज्ञ करवाया गया। सबसे पहले पं. अविनाश गौतम एवं पं. पिंटू शर्मा ने नवग्रह, पंचोपचार, षोढषोपचार, गौरी, गणेश, कुंभ पूजन, मां बगलामुखी के निमित्त माला जाप कर मुख्य यजमान संजीव शर्मा एवं पूजा अरोडा से सपरिवार पूजा अर्चना उपरांत हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाईं ।

इस यज्ञ में उपस्थित मां भक्तो को आहुतियां डलवाने के बाद नवजीत भारद्वाज ने आए हुए मां भक्तों से अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जरूरत से ज्यादा धन एकत्रित करना पाप है, जो नरक और दुखों का कारण बनता है। नर तन को साधन धाम और मुक्ति का द्वार भी कहा गया है अर्थात मानव जीवन ईश्वर ने हमें आत्मकल्याण के लिए दिया है। भारत की भूमि पर भी इस देव दुर्लभ मानव तन को पाकर भी यदि हमने अब भी आत्मकल्याण नहीं किया तो फिर कभी भी और कहीं भी कल्याण होने वाला नहीं है। हमें इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

नवजीत भारद्वाज ने कहा कि जो मनुष्य ऐसे साधन पाकर भी भवसागर से न तरे, वह कृतघ्न और मंद बुद्धि है और आत्महत्या करने वालों की गति को प्राप्त होता है। परेशानी में आत्महत्या करना मूर्खता, महापाप है। इससे जीव की कभी मुक्ति नहीं होती है। जिस नर तन से ईश्वर और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है, उसे मोह माया, विषय-विकारों में ही खो देना मूर्खता है। हमें भक्ति अथवा मुक्ति की इच्छा करनी चाहिए, ऐसी शुभ इच्छा में सब सद्गुण आ जाते हैं। मुक्ति का विचार ही मनुष्य को त्यागी, दानी, सेवापरायण बनाता है। भक्ति-मुक्ति अथवा ईश्वर प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन है हवन यज्ञ, इसके द्वारा मनुष्य की जगत से आसिक्त घटती जाती है और ईश्वर की प्रीत बढ़ती जाती है।

हवन यज्ञ में आहुतियाँ डालते हुए धाम के संस्थापक व संचालक नवजीत भारद्वाज व अन्य

जितनी आसिक्त घटती है उतनी ही प्रीती बढ़ती है और जितनी प्रीती बढ़ती है उतनी ही आसक्ति घटती है। संसार से आसिक्त ही बंधन व जन्म-मरण का बीज है। जीने के लिए यह मेहनत करना जरूरी, लेकिन मिलेगा वही जो लिखा है। जरूरत से ज्यादा धन एकित्रत करना पाप है, जो नरक और दुखों का कारण बनता है। धन को धर्म कार्य में लगाएं, उसका सदुपयोग करें।


इस अवसर पर एडवोकेट राज कुमार, राकेश प्रभाकर, रोहित बहल, मुकेश चौधरी, मधुकर कत्याल, मोहित बहल, राजेन्द्र कत्याल, अभिलक्षय चुघ, अशोक शर्मा, सुरेंद्र, राजेश मैहता, दीलीप कुमार, नीटू,साहिल, मनोज चढ्ढा, दिशांत, संजीव, राजेश महाजन, गितेश, यज्ञदत्त, अश्वनी शर्मा, मानव शर्मा, बावा खन्ना, राजीव, राकेश, ठाकुर बलदेव सिंह, विनोद खन्ना, लक्की, सुनील जग्गी, प्रिंस, दिनेश चौधरी, पंकज, मानव शर्मा, दीपक सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। आरती उपरांत प्रसाद रूपी लंगर भंडारे का भी आयोजन किया गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button