नई दिल्ली, 10 नवंबर (ब्यूरो) : गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों प्रदेशों में राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर हैं। हिमाचल में 12 नवंबर को वोट डाले जाएंगे, ऐसे में गुरुवार को प्रदेश में चुनाव प्रचार अभियान का शोर शाम 5 बजे थम जाएगा। लाखों मतदाता शनिवार को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
रैली, रोड शो व लाउडस्पीकर से प्रचार नहीं हो सकेगा। नियम तोड़ने पर चुनाव विभाग की ओर से सख्त कार्रवाई होगी। प्रत्याशियों को छोड़ अन्य नेताओं को दूसरे विधानसभा क्षेत्रों में रहने की अनुमति नहीं होगी। जहां पर मतदाता सूची में नाम है वहीं पर वे रह सकेंगे। प्रत्याशी चाहे किसी भी विधानसभा क्षेत्र का मतदाता है, जहां से चुनाव लड़ रहा है वहां रह सकेगा। अब घर-घर जाकर प्रचार हो सकेगा। घर-घर प्रचार के लिए भी पांच से अधिक लोग शामिल नहीं हो सकेंगे। इस संबंध में चुनाव विभाग ने दिशानिर्देश जारी किए हैं। विज्ञापन भी चुनाव विभाग की ओर से बनाई समिति से पारित होने के बाद ही छप सकेंगे।
इसे पहले बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश में ताबड़तोड़ 2 चुनावी रैलियां कीं। इस दौरान उनके निशाने पर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस रही। वहीं, विपक्षी पार्टी के दिग्गज नेताओं ने भी प्रदेश में चुनावी सभाएं कीं और जनता से अपने-अपने पक्ष में वोट डालने की अपील की। मतगणना के लिए 8 दिसंबर की तिथि तय की गई है।
हिमाचल चुनाव के लिए 17 अक्टूबर को आधिकारिक तौर पर अधिसूचना जारी की गई थी। इसके बाद 25 अक्टूबर से पर्चा दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। 27 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई थी, जबकि नामांकन वापस लेने की तिथि 29 अक्टूबर थी। चुनाव आयोग के अनुसार, प्रदेश में 55 लाख वोटर हैं, जिनमें 27 लाख 80 हजार पुरुष और 27 लाख 27 हजार महिलाएं हिस्सा लेंगी। चुनाव में शामिल कर्मचारियों की संख्या 67 हजार 532 होगी। इसके अलावा 80 साल से ज्यादा उम्र के 1.22 लाख मतदाता हैं। प्रदेश में 1184 मतदाता ऐसे हैं, जिनकी उम्र 100 साल से ज्यादा है।