जालंधर, 02 जून (कबीर सौंधी) : आक्सीजन उत्पादन में जालंधर को स्व-निर्भर ज़िला बनाने की अपनी, कोशिशों को जारी रखते हुए डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी ने बुद्धवार को उच्च आक्सीजन उपभोग वाले अस्पतालों को जल्दी ही अपने पी.एस.ए. आधारित आक्सीजन उत्पादन प्लांट स्थापित करने की अपील की गई।जानकारी देते हुए डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि एन.एच.एस., न्यू रूबी, श्रीमन सुपर स्पैशलिटी, टैगोर, पटेल, पिम्स और कैपीटल अस्पतालों सहित सात अस्पतालों की तरफ से पहले ही अपने अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट स्थापित किये जा चुके हैं। उन्होनें आगे कहा कि अन्य अस्पतालों को भी इसी रास्ता पर चलना चाहिए, जिससे स्वास्थ्य संभाल संस्थानों संभावित यदि तीसरी लहर आती है तो उस दौरान आक्सीजन की ज़रूरत को पूरा करन के समर्थ होगी। उन्होनें कहा कि इससे आक्सीजन के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भरता भी कम होगी। डिप्टी कमिश्नर ने प्रशासन की अपील को मानते हुए प्लांट लगाने वाले इन सात अस्पतालों के प्रयासो की प्रशंसा करते हुए कहा कि पूर्वी राज्यों से आक्सीजन की ढुलाई की लागत अक्सर आक्सीजन की लागत से 200 प्रतिशत तक हो सकती है।
इस तरह ऐसे प्लांट स्थापित करने के साथ अस्पताल न सिर्फ़ आक्सीजन -स्वतंत्र हो जाएंगे, बल्कि भविष्य में यदि कोई संकट आता है तो अपने मरीज़ों की बिना किसी रुकावट से बढिया देखभाल भी कर सकेंगे। डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि प्रशासन की तरफ से उन अस्पतालों की पहचान की गई है, जिनको मरीज़ों को और ज्यादा प्रभावशाली ढंग से संभालने के समर्थ होने के लिए पी.एस.ए. आधारित प्लांट लगाने की ज़रूरत है। उन इस सम्बन्धित इनोसैंट हारटज़ अस्पताल, सरवोद्या, जौहल, न्यूरोनोवा, मान मैडीसिटी, ओकसफोरड, मिलटरी हस्पताल केयरमैकस और घई हस्पताल की मैनेजमेंट से अपील की।थोरी ने आगे बताया कि जालंधर सिविल अस्पताल में दूसरा आक्सीजन उत्पादन प्लांट लगाया जा रहा है, जिससे साथ इसकी मैडीकल आक्सीजन पैदा करने की सामर्थ्य और बढ़ जायेगी। उन्होनें कहा कि सामुहिक प्रयासों के साथ ही हम आक्सीजन उत्पादन में स्व -निर्भर बनने के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।