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सिद्धू खेमे के 13 नेताओं ने कैप्टन पर जताया भरोसा

चंडीगढ़ (ब्यूरो) : पंजाब सरकार ने मंगलवार देर शाम दावा किया है कि कुछ लोग पार्टी के अंदर दरार डालने की साजिश रच रहे हैं। सिद्धू खेमे की बैठक में शामिल बताए जा रहे छह विधायकों और एक पूर्व विधायक ने कैप्टन पर ही भरोसा जताया है। जबकि इसके उलट गुरकीरत सिंह कोटली ने दावा किया कि वे लंबे समय से नवजोत सिंह सिद्धू के साथ हैं और कैप्टन का समर्थन नहीं करते।

पजाब सरकार द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि पंजाब कांग्रेस के जिन नेताओं ने पार्टी में स्वयं को बगावत से दूर किया है, उनमें विधायक कुलदीप वैद, दलवीर सिंह गोल्डी, संतोष सिंह भलाईपुर, अंगद सिंह, राजा वड़िंग और गुरकीरत कोटली और पूर्व विधायक अजीत इंदर सिंह शामिल हैं।

पंजाब कांग्रेस के एक पक्ष द्वारा सार्वजनिक तौर पर एक सूची जारी करते हुए पार्टी के विधायकों और पूर्व विधायकों को कैप्टन विरोधी गुट का हिस्सा बताया गया था, जो कैप्टन को बदलना चाहते हैं और इस मामले को आलाकमान के समक्ष उठाना चाहते हैं लेकिन इन सात नेताओं ने ऐसे किसी फैसले का हिस्सा न होने की बात करते हुए कहा है कि वे मुख्यमंत्री के साथ दृढ़ता से खड़े हैं। इन नेताओं ने बताया कि तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा की निवास पर बंद कमरे में मीटिंग हुई थी, जिसके बाद बाकी नेताओं के साथ उनके नाम भी जारी कर दिए गए, जबकि यह मीटिंग पार्टी मामलों पर विचार करने को बुलाई गई थी।

मीटिंग में शामिल कुछ नेताओं ने मुख्यमंत्री को बदलने का मसला उठाने की कोशिश की थी लेकिन सर्वसम्मति से न तो कोई संकल्प पेश हुआ और न ही सहमति बनी। उन्होंने अपने नाम का इस्तेमाल करने का सख्त नोटिस लेते स्पष्ट किया कि वह कैप्टन के खिलाफ किसी भी ऐसे कदम के हिमायती नहीं हैं।

मुख्यमंत्री के खिलाफ साजिश का हिस्सा

कुलदीप वैद ने स्पष्ट किया कि वह मुख्यमंत्री के खिलाफ ऐसी किसी भी साज़िश का हिस्सा नहीं है, जबकि गोल्डी ने कहा कि मैं पूरी दृढ़ता से कैप्टन का समर्थन करता हूं। अंगद ने बताया कि वह अपने हलके में सहकारी सभाओं के मतदान संबंधी विचार-विमर्श के लिए गए थे। वड़िंग ने बताया कि उनको नहीं पता कि इस मीटिंग के दौरान ऐसी कोई चर्चा भी हुई है। भलाईपुर ने भी इस मीटिंग में मुख्यमंत्री के बदलने के बारे में कोई बातचीत होने से इनकार किया।

विधायकों ने बगावत की निंदा की

सरकार की ओर से दावा किया गया कि इन सभी सात विधायकों ने पंजाब कांग्रेस के एक हिस्से द्वारा 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में बगावत करने की कोशिश की निंदा की, ख़ास तौर पर जब आलाकमान ने पहले ही सिद्धू और कैप्टन के बीच के मतभेदों को सुलझा लिया था।

उन्होंने कहा कि चुनाव में कुछ महीने बाकी हैं और पार्टी को एकजुट होकर काम करने की जरूरत है, ना कि निजी फायदों के लिए निचले दर्जे की राजनीति करने की। उन्होंने पार्टी लीडरशिप से अपील की है कि वह पार्टी को बांटने की कोशिशों को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाएं।

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