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साढ़ेसाती और ढैय्या से बचने के लिए कल अमावस्या के दिन शनि भक्तों करें शनि जाप : नवजीत भारद्वाज

4 दिसंबर को शनि अमावस्या पर विशेष हवन यज्ञ

जालंधर, 03 दिसंबर (कबीर सौंधी) : प्रत्येक मास कृष्ण पक्ष के आखिरी दिन अमावस्या होती है वहीं हर माह के शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा होती है. ये अमावस्या और पूर्णिमा चंद्रमा की घटती-बढ़ती कलाओं के कारण होती है। इस माह मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि को शनैश्चरी अमावस्या है।

4 दिसंबर को शनिवार के दिन अमावस्या होने के कारण इसे शनैश्चरी अमावस्या के कहा जाएगा। धार्मिक दृष्टि से पूर्णिमा और अमावस्या दोनों ही तिथियां महत्वपूर्ण होती हैं। शनिवार के दिन अमावस्या होने के कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर शनिवार अमावस्या के दिन कुछ उपाय किए जाएं तो शनिदेव प्रसन्न होते हैं । कारोबारी और आर्थिक एवं सांसारिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

नवजीत भारद्वाज
(संस्थापक व संचालक, मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी)

इस दिन प्रातः काल गंगा जल इत्यादि से स्नान करके श्री शनिदेव महाराज जी के मंदिर में जाकर नतमस्तक होकर निम्नलिखित कार्य करते हुए ऊं शं शनैश्चराय नमः का जप करते रहें। शाम के समय श्री शनिदेव महाराज जी के हवन-यज्ञ का बहुत ही बड़ा महत्व है।
मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मा पिंड चौक जालंधर के संचालक एवं संस्थापक नवजीत भारद्वाज ने बताया कि मंदिर परिसर में प्रत्येक शनिवार को हवन-यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है परन्तु 4 दिसंबर को शनि अमावस्या पर विशेष पूजा अर्चना एवं हवन-यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है जो कि शाम 6 00 बजे से शुरू होगा और प्रभु इच्छा तक मंदिर परिसर में जारी रहेगा। हवन-यज्ञ उपरांत लंगर प्रसाद का भी आयोजन किया गया है। मां बगलामुखी धाम के सेवादार नवजीत भारद्वाज ने सभी भक्तों से इस सु अवसर का लाभ उठाने का आवाहन किया है‌।

शनैश्चरी अमावस्या के दिन इन उपायों को करने से आर्थिक तंगी से मुक्ति पाई जा सकती है।

 

इन चीजों का करें दान –

अमावस्या तिथि पर शनिदेव से जुड़ी चीजों जैसे छाता, उड़द, उड़द दाल की खिचड़ी, काले तिल, सरसों का तेल आदि चीजों का दान जरूरतमंद लोगों में करें। माना जाता है कि इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और आपके जीवन की समस्याएं दूर होती हैं।

छाया दान –

शनि अमावस्या पर एक लोहे के पात्र में सरसों का तेल लेकर उसमें एक सिक्का डालें और फिर तेल में अपने चेहरे की छाया देखने के बाद उस तेल को दान कर दें। यह कार्य आप प्रत्येक शनिवार के दिन नियमित रूप में भी कर सकते हैं। शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए यह उपाय बहुत कारगर माना जाता है।

दीप दान –

इस दिन श्री शनिदेव महाराज जी के निमित्त दीपदान का भी विशेष महत्व है। इस प्रक्रिया को किसी ज्ञानी ब्राह्मण द्वारा अथवा किसी सिद्ध स्थान पर करने से श्री शनिदेव महाराज शिघ्र प्रसन्न होकर अभीष्ट इच्छा का फल प्रदान करते हैं।

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