जालंधर, 09 अप्रैल (धर्मेंद्र सौंधी) : प्रिंसिपल डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन के कुशल मार्गदर्शन में, फ्रायडियन साइकोलॉजिकल सोसाइटी ने “संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी को लागू करना: सकारात्मक परिवर्तन के लिए व्यावहारिक रणनीतियाँ” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। रिसोर्स पर्सन डॉ.राधिका गुप्ता थीं। उनका स्वागत पीजी प्रमुख डॉ. अशमीन कौर ने किया। एक प्लान्टर और एक पेंटिंग के साथ मनोविज्ञान विभाग। उन्होंने संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी का उपयोग करके क्रोध प्रबंधन तकनीकों के बारे में बताकर कार्यशाला की शुरुआत की।
उन्होंने बताया कि सीबीटी स्वचालित नकारात्मक विचारों को बदलने पर केंद्रित है। हमें नकारात्मक विचार पैटर्न नहीं रखना चाहिए जिसमें हम अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने का प्रयास करें बल्कि हमें अपनी भावनाओं को प्रबंधित करना चाहिए। उन्हें प्रबंधित करने के लिए हम एक ग्राउंडिंग तकनीक का उपयोग कर सकते हैं जिसमें हम अपनी पांच इंद्रियों को सक्रिय करते हैं। हमें अपने सांस लेने के तरीके पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि हमारे मस्तिष्क तक अधिक से अधिक ऑक्सीजन पहुंच सके। उन्होंने किशोरों में अत्यधिक सोचने के पैटर्न पर भी प्रकाश डाला। हमारा दिमाग या तो अतीत की चीज़ों पर केंद्रित होता है या उन चीज़ों पर जिन्हें हम नियंत्रित नहीं कर सकते। जब हम असहाय महसूस करते हैं तो हम जरूरत से ज्यादा सोचते हैं।
उन्होंने एक इंटरैक्टिव प्रश्न उत्तर सत्र के साथ समापन किया। प्रिंसिपल प्रोफेसर डॉ. अजय सरीन ने इस पहल की सराहना की और मनोविज्ञान विभाग को बधाई दी। सुश्री प्रियांशु (एम वोक. सेमेस्टर 2) ने मंच का संचालन किया और हरसिमरत (एम वोक. सेमेस्टर 2) ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर सुश्री श्रुति बिदानी, श्रीमती अंजलि नंदन एवं सुश्री निधि शर्मा ने भी कार्यशाला में भाग लिया।