जालंधर, 21 फरवरी (कबीर सौंधी) : श्री कष्ट निवारण बालाजी सेवा परिवार की ओर से शहर के बीचों-बीच पटेल चौंक स्थित साईं दास स्कूल की ग्राउंड में आयोजित सात दिवसीय श्री मद् भागवत कथा के समारोह का शुभारंभ संयुक्त रूप से पंजाब विधानसभा के स्पीकर स.कुलतार सिंह संधवां, विधायक रमन अरोड़ा, महेश मुखीजा, राहुल बाहरी ने किया।कथा के शुभारंभ के बाद विश्व विख्यात आध्यात्मिक प्रवचन कर्ता जया किशोरी ने कथा में कहा श्रीमद् भागवत कथा का बहुत बड़ा महात्म्य है। हर व्यक्ति को इसका श्रवण करना चाहिए एवं भागवत कथा में वर्णित तथ्यों के आधार पर अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए।
आज पहले दिन जया किशोरी जी ने भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि कलयुग में इस कथा को सुनने से पापों से मुक्ति मिलती है। उन्होंने भगवान के अवतरों की कथा, कौरव पांडव वर्णन और बराह अवतार का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने अपनी ओजस्वी वाणी से भागवत महात्म्य व राजा परीक्षित के प्रसंगों पर बोलते हुए कहा कि भागवत कथा श्रमण से मनुष्य के शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है, साथ ही अभिमान भी दूर होता है। यदि कथा श्रवण, सत्संग व कीर्तन से अहंकार दूर ना हो तो कथा श्रवण, सत्संग व कीर्तन का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता। कथा श्रमण से व्यक्ति का अहंकार तो दूर होता ही है, साथ ही मन में एक अलग प्रकार की सुखद अनुभूति का भी अनुभव होता है।कथा में कहा कि लोग भगवान को बुढ़ापे में या अंत समय ही क्यों याद करते है। भगवान को याद करने से मन को शांति मिलती है, जब मन शांत रहता है, तभी मनुष्य सुखी जीवन व्यतीत करता है।
साथ ही कहा कि मनुष्य के मृत्यु के समय उसके मुख में तुलसी के पत्ते का बहुत बड़ा महत्व है, मरते समय जिस व्यक्ति के मुख में तुलसी का पत्ता रहता है वह नर्क में नहीं जाता।साथ ही क्रोध के बारे में बोलते हुए कथावाचक जया किशोरी जी ने आगे कहा कि जीवन में क्रोध कभी नहीं करना चाहिए कारण है कि क्रोध करने से व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है। जीवन में जब भी क्रोध आए तो जोर-जोर से राधे नाम का उच्चारण करो। राधे नाम के उच्चारण करने से क्रोध कम हो जाता है। इसलिए क्रोध को कम करने के लिए राधे नाम का स्मरण करो। और कहा कि श्रीमद् भागवत कथा सुनने से भक्त का कल्याण होता है और जीवन में सुख व शांति का अनुभव होता है। श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने का अवसर बडे़ ही सौभाग्य से प्राप्त होता है। कथा के बीच जया किशोरी ने भजनों के माध्यम से खूब भक्ति रस बरसाया, जिससे पंडाल में लोग मस्ती से झूमने लगे।