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श्रीमद् भागवत कथा के सातवें व अंतिम दिन उमड़ा भक्तों का सैलाब

कृष्ण आप सबके घर में बैठे हैं गीता के रूप में : जया किशोरी

जालंधर, 19 फरवरी (कबीर सौंधी) : संसार में मनुष्य को सदा अच्छे कर्म करना चाहिए, तभी उसका कल्याण संभव है। माता-पिता के संस्कार ही संतान में जाते हैं। संस्कार ही मनुष्य को महानता की ओर ले जाते हैं।

उक्त विचार श्री कष्ट निवारण बालाजी सेवा परिवार के द्वारा साई दास स्कूल की ग्राउंड में हो रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के सातवें व अंतिम दिन अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक जया किशोरी ने कहे।

कथा का शुभारंभ जगदीप सूद (सेशन जज चंडीगढ़), अंकुर गुप्ता (आईपीएस डिप्टी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस), निर्मल सिंह (पीपीएस असिस्टेंट कमिश्नर), कमलजीत सिंह इंचार्ज थाना डिवीजन नंबर 2, अरविंद घई (डी.ए.वी कॉलेज) (सेक्रेटरी), दयानंद मॉडल स्कूल के विनोद चुघ (प्रिंसिपल), साई दास स्कूल के राकेश शर्मा (प्रिंसिपल) व विधायक रमन अरोड़ा, महेश मखीजा, मणि भाईया ने ज्योति प्रज्वलित करके किया।

अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक जया किशोरी ने कथा के सातवें व अंतिम दिन कृष्ण सुदामा चरित्र, 24 गुरुओं की कथा, राजा परिक्षित का मोक्ष का वर्णन बताया।

कथा पंड़ाल में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में जया किशोरी ने कहा कि जो देना जानता है, वो लेना भी जानता है। भगवान एक है, इंसान अनेक है। भगवान ने कहा सहायता करना मेरा काम है, भक्ति करना तुम्हारा काम है। सही काम के लिए खड़े होना सही है।

कथा में सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो। सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है। जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है।

कथा में सुदामा की मनमोहक झांकी का चित्रण देखकर हर कोई भाव विभोर हो उठा। अंत में सात दिवसीय कथा का हुआ श्रद्धापूर्वक समापन।

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