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श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान सागर है, श्रीमद्भागवत को रास कथा कह निरादर ना करें

जालंधर, 12 अप्रैल (कबीर सौंधी) : संत समाज ने श्रीमद्भागवत महापुराण के बारे में कई बार बताया है कि श्रीमद्भागवत जीवन के ज्ञान का केंद्र है, स्वयं श्री कृष्ण का सवरुप है। पर आज भी कई प्रभु भक्त घमण्ड़ से घिरे, जीवन का आधार सिखाने वाले महापुराण को रस कथा/रास कथा इत्यादि कहते हैं। प्रभु भक्तों से अनुरोध है अगर आप किसी ग्रंथ का सम्मान नहीं कर सकते तो कृपया निरादर न कीजिए। श्री गुरु महादेव जी और श्री गुरु हनुमान जी कृपा कर आपको सद्बुद्धि व ज्ञान दें।

इस विषय पर कई प्रभु भक्तों से अलग – अलग विधि से पूछ कर देखा गया है खुद को परम ज्ञानी मानने व दिखाने वाले सभी श्रीमद्भागवत महापुराण को रास कथा और श्रीमद्भागवत गीता को जीवन का सार बताते हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि श्रीमद्भागवत गीता जीवन की समस्याओ से लड़ने का गुण व विधि सिखाती है और श्रीमद्भागवत महापूर्ण में प्रभु श्री कृष्ण के जीवन को दर्शाते हुए जीवन क्या है ये बताया है, ना कि आपका मन बहलाने को लिखी गई कोई रास गाथा।।

श्री महादेव जी के शिष्य, श्री हनुमान जी के भाई व शिष्य और मां श्री चिंतपूर्णी जी के पुत्र श्री ॐ वरुण अन्तःकरण (अनंतगुरु)

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