नई दिल्ली, 21 नवंबर (ब्यूरो) : केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव होने के संकेत मिल रहे हैं। इस बीच खबर है कि केंद्र सरकार जम्मू और कश्मीर में ‘वाल्मीकि’ समुदाय को बड़ा तोहफा दे सकती है। सरकार ‘वाल्मीकि समुदाय को’अनुसूचित जाति सूची में शामिल करने की योजना बना रही है। यह प्रस्ताव सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दिया गया है। ‘वाल्मीकि’ नाम का एक समुदाय जो पहले से इस लिस्ट में शामिल है उससे इस समुदाय का नाम मिलता जुलता है, लेकिन दोनों में वर्तनी में भिन्नता है। दलित समूहों की मान्यता में अपनाई गई सख्ती को देखते हुए यह अंतर वाल्मीकि जाति के कई व्यक्तियों या परिवारों को आरक्षण और अन्य सकारात्मक लाभों से वंचित कर देता है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में अनुसूचित जनजातियों की सूची में पहाड़ी समुदाय जोकि एक भाषाई अल्पसंख्यक है को शामिल करने की घोषणा की गई थी। इससे समझा जा रहा है कि भाजपा जम्मू-कश्मीर में जाति वर्गीकरण पर एक तेज गति से चल रही है। लेकिन इधर एसटी सूची में शामिल गुर्जरों और बकरवालों ने प्रस्ताव के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और विरोध की धमकी दी है। जबकि गुर्जर और बकरवाल मुस्लिम हैं। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि ‘पहाड़ी’ आदिवासी नहीं हैं, बल्कि मुख्यधारा की उच्च जातियों का हिस्सा हैं।
हालांकि ‘वाल्मीकि’ का मामला उतना विवादास्पद नहीं है, क्योंकि यह समुदाय पूरे देश में एक प्रसिद्ध दलित समुदाय से आते हैं। सूत्रों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सफाई कर्मचारियों (सफाई कर्मचारियों) की हड़ताल के मद्देनजर तत्कालीन राज्य प्रमुख द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों को भेजे गए अनुरोध के बाद उक्त समुदाय के कुछ परिवार 1957-58 में पंजाब से जम्मू चले गए थे। यह मुख्य रूप से यह समूह है जो वर्तनी भिन्नता वाले समुदाय का हिस्सा है जिसे अनुसूचित जाति सूची में शामिल करने की मांग की जा रही है।