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मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी में हुआ श्री शनिदेव महाराज के निमित्त श्रृंखलाबद्ध हवन यज्ञ

जन्म को सुधारो, मृत्यु सुधर जाएगी : नवजीत भारद्वाज

जालंधर (कबीर सौंधी) : मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मां पिंड चौक में श्री शनिदेव महाराज के निमित्त श्रृंखलाबद्ध हवन यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर में किया गया। मां बगलामुखी धाम के संचालक एवं संस्थापक नवजीत भारद्वाज ने बताया कि पिछले 11 वर्षों से श्री शनिदेव महाराज के निमित्त हवन यज्ञ जो कि नाथां बगीची जेल रोड़ में हो रहा था इस महामारी के कारण वश अल्पविराम आ गया था।

हवन यज्ञ में आहुतियाँ डालते हुए धाम के संस्थापक व संचालक नवजीत भारद्वाज व अन्य

अब यह हवन पिछले लगभग 5 महीने से मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी में आयोजित किया जा रहा है। सर्व प्रथम मुख्य यजमान आरती शर्मा से वैदिक रीति अनुसार गौरी गणेश, नवग्रह, पंचोपचार, षोडशोपचार, कलश, पूजन उपरांत पंडित अविनाश गौतम एवं पंडित पिंटू शर्मा ने आए हुए सभी भक्तों से हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई । इस सप्ताह श्री शनिदेव महाराज के जाप उपरांत मां बगलामुखी जी के निमित्त भी माला मंत्र जाप एवं हवन यज्ञ में विशेष रूप आहुतियां डाली गई। हवन-यज्ञ की पूर्णाहुति के उपरांत नवजीत भारद्वाज ने आए हुए भक्तों से अपनी बात कहते हुए कहा कि व्यक्ति जन्म से मृत्यु तक माया से घिरा रहता है। जब वह माया से बाहर हो कर ज्ञान को प्राप्त करता है, वहीं से परमात्मा की लीला प्रारंभ होती है ।

नवजीत भारद्वाज ने कहा कि सांसारिक वस्तुएं टेढ़ी हो सकती हैं, लेकिन संसार बनाने वाला टेढ़ा नहीं हो सकता। इंसान टेढ़ा है, लेकिन उसका मन टेढ़ा नहीं है। जीवन का गणित बहुत उल्टा है। जन्म को सुधारो, मृत्यु सुधरती है। उन्होने कहा कि मनुष्य वर्तमान सुधारे तो भविष्य सुधरता है। आज को सुधारे तो कल सुधरता है। संसारी और संन्यासी में इतना फर्क है कि गृहस्थ के पैर टिकते हैं,संन्यासी के पैर नहीं टिकते। गृहस्थ आज को तथा संन्यासी कल को सुधारता है। संन्यासी के पैर तीर्थो में घूमते हैं, जिससे उसके पैरों में तीर्थो की धूल रहती है। मन को जीतना बहुत महत्वपूर्ण है। विश्वामित्र की साधना में दोष मेनका का नहीं, मन का था। जीवन में कुछ बनना चाहते हो, तो चार चीजों को त्यागना पड़ेगा, जिसमें पहली चीज ये है कि किसी काम को करने से पहले यह भावना मन से निकाल दो कि कोई क्या कहेगा, दूसरी बात यह कि मन में यह भावना कभी न आने दो कि यह मुझसे नहीं होगा, तीसरा भाग्य को कभी मत कोसों कि भाग्य खराब है, चौथा किसी भी काम को करने से पहले यह मत बोलो कि मन नहीं है, यदि मनुष्य का लक्ष्य पवित्र हो, इरादा नेक हो तो बिना पीछे देखे अपने लक्ष्य की ओर ही देखना चाहिए क्योंकि मनुष्य को यदि ऊंचाई को हासिल करना है, तो मन पर विजय पाना बहुत जरूरी है।


इस अवसर पर गोपाल मालपानी,विक्रांत शर्मा, गुलशन शर्मा, अनीश शर्मा,अश्विनी शर्मा धूप वाले,कमल, मुनीश शर्मा, मोहित बहल, यज्ञदत्त, अमरेंद्र, पंकज, राजेश महाजन, मानव शर्मा, अश्विनी शर्मा,बावा खन्ना, रोहित मल्होत्रा, विकास अग्रवाल, प्रदीप शर्मा, राजीव, राजन शर्मा, दिशांत शर्मा, अशोक शर्मा, प्रिंस, राकेश, साबी, प्रवीण, दीपक ,अनीश शर्मा, संजीव राणा, सुनील जग्गी सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। सैनीटाइजेशन एवं सोशल डिस्टेंस का खास ध्यान रखा गया। आरती उपरांत प्रसाद रूपी लंगर भंडारे का भी आयोजन किया गया।

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