जालंधर, 19 अक्तूबर (कबीर सौंधी) : मां बगलामुखी धाम नजदीक लम्मां पिंड चौंक होशियारपुर रोड़ पर स्थित गुलमोहर सिटी में धाम के संस्थापक एवं संचालक नवजीत भारद्वाज की अध्यक्षता में साप्ताहिक मां बगलामुखी हवन यज्ञ करवाया गया। सबसे पहले ब्राह्मणों द्वारा नवग्रह, पंचोपचार, षोढषोपचार, गौरी, गणेश, कुंभ पूजन, मां बगलामुखी जी के निमित माला जाप कर मुख्य यजमान अखिल से सपरिवार पूजा अर्चना उपरांत हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाईं।
इस यज्ञ में उपस्थित मां भक्तो को आहुतियां डलवाने के बाद नवजीत भारद्वाज ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा भारतीय संस्कृति में माता-पिता को देवता कहा गया है: मातृदेवो भव। पितृदेवो भव। भगवान गणेश माता-पिता की परिक्रमा करके ही प्रथम पूज्य हो गये। श्रवण कुमार ने माता-पिता की सेवा में अपने कष्टों की जरा भी परवाह न की और अंत में सेवा करते हुए प्राण त्याग दिये। देवव्रत भीष्म ने पिता की खुशी के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया और विश्वप्रसिद्ध हो गये।
मैंने माता-पिता- गुरु की सेवा की तो मुझे कितना सारा लाभ हुआ है, मैं वर्णन नहीं कर सकता। एक पिता अपने छोटे-से पुत्र को गोद में लिये बैठा था। एक कौआ सामने छज्जे पर बैठ गया। पुत्न ने पूछा: ‘‘पापा! यह क्या है?’’ पिता ने बताया: ‘‘कौआ है।’’पुत्न ने फिर पूछा: ‘‘यह क्या है?’’पिता ने कहा: ‘‘कौआ है।’’ पुत्र बार-बार पूछता: ‘‘पापा! यह क्या है?’’पिता स्नेह से बार-बार कहता: ‘‘बेटा! कौआ है कौआ!’’ कई वर्षों के बाद पिता बूढा हो गया। एक दिन पिता चटाई पर बैठा था। घर में कोई उसके पुत्र से मिलने आया। पिता ने पूछा: ‘‘कौन आया है?’’ पुत्न ने नाम बता दिया।
थोड़ी देर में कोई और आया तो पिता ने फिर पूछा। पुत्र ने झल्लाकर कहा: ‘‘आप चुपचाप पड़े क्यों नहीं रहते। आपको कुछ करना-धरना तो है नहीं, ‘कौन आया-कौन गया’ दिन भर यह टाँय-टाँय क्यों लगाये रहते हैं।’’पिता ने लम्बी सांस खींची, हाथ से सिर पकडा। बडे दु:ख भरे स्वर में धीरे-धीरे कहने लगा: ‘‘मेरे एक बार पूछने पर तुम कितना क्रोध करते हो और तुम दसों बार एक ही बात पूछते थे कि यह क्या है? मैंने कभी तुम्हें झडिका नहीं। मैं बार-बार तुम्हें बताता: बेटा! कौआ है। माता-पिता ने तुम्हारे पालन-पोषण में कितने कष्ट सहे हैं।
कितनी रातें मां ने तुम्हारे लिए गीले में सोकर गुजारी हैं, तुम्हारे जन्म से लेकर अब तक और भी कितने कष्ट तुम्हारे लिए सहन किये हैं, तुम कल्पना भी नहीं कर सकते। कितने-कितने कष्ट सहकर तुमको बडा किया और अब तुमको वृद्ध माता-पिता को प्यार से दो शब्द कहने में कठिनाई लगती है। पिता को ‘पिता’ कहने में भी शर्म आती है।
मां बगलामुखी धाम में नवरात्र के शुभ अवसर पर नवदुर्गा हवन-यज्ञ के अंतर्गत आज हवन-यज्ञ में मां स्कंदमाता जी के निमित्त पंचम नवरात्र का हवन-यज्ञ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर राकेश प्रभाकर,राजेश महाजन, समीर कपूर, जसविंदर सिंह,अमरजीत सिंह, केविंन शर्मा,गौरी शर्मा, मनीष कुमार,बावा खन्ना,संजय,बावा जोशी,भानू मल्होत्ना, बलदेव राज,विनोद खन्ना, दिशांत शर्मा,अभिलक्षय चुघ,सोनू छाबड़ा, सुनील जग्गी, अशोक शर्मा, अजीत कुमार, नवदीप सिंह,उदय,हरविंदर सिंह,सौरभ मल्होत्रा,प्रिंस, राकेश, केहर सिंह, प्रदीप शर्मा,ठाकुर बलदेव सिंह,प्रवीण, सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। आरती उपरांत विशाल प्रसाद रूपी लंगर भंडारे का भी आयोजन किया गया।