जालंधर, 12 मार्च (कबीर सौंधी) : मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मां पिंड चौक में श्री शनिदेव महाराज के निमित्त श्रृंखलाबद्ध हवन यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर में किया गया। मां बगलामुखी धाम के संचालक एवं संस्थापक नवजीत भारद्वाज ने बताया कि पिछले 11 वर्षों से श्री शनिदेव महाराज के निमित्त हवन यज्ञ जो कि नाथां बगीची जेल रोड़ में हो रहा था इस महामारी के कारण वश अल्पविराम आ गया था अब यह हवन पिछले लगभग 22 महीने से मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी में आयोजित किया जा रहा है।
सर्व प्रथम वैदिक रीति अनुसार गौरी गणेश, नवग्रह, पंचोपचार, षोडशोपचार, कलश, पूजन मुख्य यजमान एडवोकेट राज कुमार से सपरिवार हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाई । इस सप्ताह श्री शनिदेव महाराज के जाप उपरांत मां बगलामुखी जी के निमित्त भी माला मंत्र जाप एवं हवन यज्ञ में विशेष रूप आहुतियां डाली गई। हवन-यज्ञ की पूर्णाहुति के उपरांत नवजीत भारद्वाज ने आए हुए भक्तों से अपनी बात कहते हुए कहा कि संसार में भला कौन है जो यह ना चाहता हो कि उसके विचार का अधिक से अधिक दिलों पर प्रभाव पड़े।
एक आध्यात्मिक व्यक्ति भी यह चाहता है कि वह जो सोच रहा है, उसे अधिक से अधिक लोग सकारात्मक दृष्टि से देखें। यह अजीब भी नहीं है क्योंकि हर एक विचार स्वीकृति की राह देखता ही है। अब सवाल यह उठता है कि कोई आप तक क्यों आए, आकर आपकी क्यों सुने और सुनकर उसे भला क्यों माने यह बात इसलिए जरूरी है क्योंकि यदि कोई विचार आम इंसान का सहयोग नहीं पाया तो वह कैसे फलेगा-फूलेगा।
कोई विचार यदि मनुष्य के मस्तिष्क में पहुंचकर हलचल न मचा सके तो उस विचार के होने पर ही प्रश्नचिह्न लग जाएगा। कोई भी महापुरुष हो, उसने अपना विचार आमजन में रखा ही है। जब उस विचार को रखा गया, तब लोगों ने उसे माना भी और उसकी आलोचना भी की यही प्रयोग है बिना प्रयोग के परिणाम कभी प्रकट हो ही नहीं सकता। इसलिए विचार का लोगों में जाना ही उसके होने का प्रमाण है। नवजीत भारद्वाज ने कहा कि आज हमारे सामने बहुत से लोग हैं जो बेहद सच्चे हैं,
ईमानदार हैं, सरल हैं मगर उन्हें सुनने वाला और समझने वाला कोई नहीं कभी गौर किया है कि इतने अच्छे लोगों के पास भी दो लोग नहीं हैं जो उनके विचारों को आगे बढा सकें। दूसरी ओर बेहद दूषित विचार वाला व्यक्ति है, मगर उसके पास भीड़ लगी हुई है। यह अचानक नहीं हुआ है। इन दोनों ही परिस्थिति में जो एक बात एक जैसी है वह है, स्नेह।
पहले ईमानदार व्यक्ति के पास लोगों के प्रति स्नेह नहीं है इसलिए उसके पास कोई नहीं है। इसके ठीक विपरीत दूषित विचार का व्यक्ति अपने लोगों से स्नेह रखता है इसलिए उसके पास भीड़ है। चाहे आप जितने अच्छे विचारवान हों, अगर आप लोगों का दर्द नहीं समझ सकते, उनके स्तर तक पहुंचकर बात नहीं कर सकते, उन्हें अपने होने का एहसास नहीं करवा सकते तो आप केवल विचारों का ढेर रह जाएंगे, जो आपके बाद खत्म हो जाएगा। संसार को वही विचार लाभ पहुंचाएगा, जो व्यक्तियों तक पहुंचे।
इस अवसर पर राकेश प्रभाकर, श्रीकंठ जज, अमरेंद्र कुमार शर्मा,हैरी शंकर शर्मा, विक्र म भसीन, संजीव सोंधी, रविन्द्र बांसल, प्रिंस कुंडल, अनिल चड्डा,रोहित भाटिया, गौरव कोहली,राजेंद्र कत्याल,बलवंत बाला, मुनीश शर्मा, सुरेंद्र शर्मा,रोहित बहल, एडवोकेट राज कुमार, मोहित बहल, अशोक शर्मा, विक्रांत शर्मा, गोपाल मालपानी, राघव चढ्ढा,
समीर कपूर, अश्विनी शर्मा, संजीव शर्मा, मुकेश चौधरी, अमरेंद्र सिंह,संजीव सांविरया, मुनीश शर्मा, यज्ञदत्त, राकी,बावा जोशी, पंकज,करन वर्मा, राजेश महाजन, संजीव शर्मा, गुप्ता,मानव शर्मा, राजीव, दिशांत शर्मा,अशोक शर्मा, पंकज, राकेश, ठाकुर बलदेव सिंह, साबी,अभिलक्षय चुघ,लक्की,वावा खन्ना, सुनील जग्गी,प्रिंस,पंकज, प्रवीण सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। आरती उपरांत प्रसाद रूपी लंगर भंडारे का भी आयोजन किया गया।