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मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी में हुआ श्री शनिदेव महाराज के निमित्त श्रृंखलाबद्ध विशाल हवन यज्ञ

वाणी को बोलने से पहले तौल लेना चाहिए : नवजीत भारद्वाज

जालंधर, 17 सितंबर (कबीर सौंधी) : मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मां पिंड चौक में श्री शिनदेव महाराज के निमित्त श्रृंखलाबद्ध हवन यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर में किया गया। मां बगलामुखी धाम के संचालक एवं संस्थापक नवजीत भारद्वाज ने बताया कि पिछले 11 वर्षों से श्री शनिदेव महाराज के निमित्त हवन यज्ञ जो कि नाथां बगीची जेल रोड़ में हो रहा था इस महामारी के कारण वश अल्पविराम आ गया था अब यह हवन पिछले लगभग 1 वर्ष से मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी में आयोजित किया जा रहा है। 

 सर्व प्रथम मुख्य यजमान से वैदिक रीति अनुसार गौरी गणेश, नवग्रह, पंचोपचार, षोडशोपचार, कलश, पूजन उपरांत ब्राह्मणों द्वारा मुख्य यजमान अभिलक्षय चुघ से हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई । इस सप्ताह श्री शनिदेव महाराज के जाप उपरांत मां बगलामुखी जी के निमित्त भी माला मंत्र जाप एवं हवन यज्ञ में विशेष रूप आहुतियां डाली गई। हवन-यज्ञ की पूर्णाहुति के उपरांत नवजीत भारद्वाज ने आए हुए भक्तों से अपनी बात कहते हुए कहा कि सत्य बोलें, प्रिय बोलें, सोचकर बोलें, कम बोलें, धीरे बोलें और मीठा बोलें। हमारी वाणी में मिश्री जैसी मिठास हो, फूलों जैसा सुवास हो, कोयल जैसी मधुरता हो।

मधुर वचन परिपूर्ण खजाना है। वाणी को बोलने से पहले तौल लेना चाहिए और तौले हुए बोलों को ही बोलना चाहिए। मिष्ट वचन बोलों तो बोलो, वरना मुख मत खोलो। नवजीत भारदज ने कहा कि गोली से एक व्यक्ति मरता है, लेकिन बोली से एक साथ हजार। गोली एक जीव को स्वस्थ्य बनाती है लेकिन बोली हजारों को। गोली एक क्षण कड़वी लगती है, लेकिन बोली का असर हजारों दिनों तक रहता है। गोली चूक सकती है पर बोली नहीं। गोली का घाव सूख सकता है, बोली का नहीं। ऐसा माना जाता है कि बच्चों को मां इसलिए ज्यादा पसंद होती है क्यों कि वह मीठी वाणी बोलती है।

संसार के समस्त युद्धों का मुख्य कारण असंतुलित वार्तालाप रहा है। वचन अमृत से भी ज्यादा सुखकारी होते हैं और विष से भी ज्यादा नुकसानदायक। शब्द ऐसे शस्त्न हैं जो आंखों से दिखाई नहीं देते, लेकिन चुभते अधिक हैं। आगे उन्होंने कहा कि उपहारों को भुलाया जा सकता है, लेकिन मधुर वाणी सदा याद रहती है। कोमल शब्द सख्त दिलों को भी जीत लेता है और वाणी से दिया गया घाव जीवन भर भी नहीं भरता। पशु इसलिए दु:ख उठाते हैं कि वह बोल नहीं पाते, मनुष्य इसलिए दु:ख उठाते हैं कि वह बोलते हैं। जिन शब्दों से मैत्नी का पुल बांधा जा सकता है उनमें दुष्मनी की दीवार खड़ी करना अज्ञानता है। 

इस अवसर पर श्रीकंठ जज, जोगिंदर सिंह, राकेश प्रभाकर,बलजिंदर सिंह, विक्र म भसीन, नीरज पाठक, अमरजीत सिंह, मुनीश शर्मा, विक्रांत शर्मा,संजीव शर्मा, गोपाल मालपानी, गुरबाज सिंह,संजीव सांविरया, रोहित बहल, अिश्वनी शर्मा, गुलशन शर्मा, गौरव कोहली, डा. जसबीर अरोड़ा,अमरेंद्र कुमार शर्मा, अरु ण, सोनू मल्होत्रा, इंजीनियर किशोर शर्मा,मुकेश चौधरी, पूजा , राजवीर कौर, हितेश,पंकज, राजेश महाजन, बावा खन्ना, मोहित बहल, अशोक शर्मा, यज्ञदत्त,पंकज, राजेश महाजन, बावा खन्ना, मोहित बहल, संजय, बलदेव राज, रोहित भाटिया, राकेश प्रभाकर, गोपाल मालपानी, बावा जोशी, ओमकार सिंह, राकी, समीर चोपड़ा, अिश्वनी शर्मा, विक्रम भसीन, संजीव शर्मा, मानव शर्मा, राजीव, सुरेंद्र सिंह, दिशांत शर्मा, ठाकुर बलदेव सिंह, बावा जोशी, राजेंद्र कत्याल,

गौरव कोहली, गितेश, गुलशन शर्मा, पूनम प्रभाकर, एडवोकेट राज कुमार, सुरेंद्र शर्मा,अमति कुमार, सुदेश शर्मा, राहुल शर्मा, रमन शर्मा, प्रशांत, सुमित, रोहित मल्होत्ना, राजन पाटनी, नीरज, प्रशांत, अजय, मनी, विनोद खन्ना, रवि कुमार, सौरव, शाम लाल, मुकेश चौधरी, संजीव शर्मा, साहिब, राजीव, दीशांत शर्मा, संजीव शर्मा,राजन शर्मा, प्रिंस, सौरभ मल्होत्ना, राकेश, प्रवीण,अनीश शर्मा, अशोक शर्मा, दीपक ,रोहित मल्होत्ना, प्रिंस ,राकेश, प्रवीण, राजेंद्र सहगल, सुनील जग्गी,प्रिंस, सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। आरती उपरांत प्रसाद रूपी विशाल लंगर भंडारे का भी आयोजन किया गया।

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