दिल्ली, 22 सितंबर (ब्यूरो) : लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी महिला आरक्षण बिल पास हो गया है। इस बिल के पक्ष में 215 वोट पड़े जबकि विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा। राज्यसभा से यह बिल पास होते ही लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण देने का रास्ता साफ हो गया है। इसे लागू कराने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में इस विधेयक को दो-तिहाई बहुमत से पारित होना जरूरी था। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा। इस प्रक्रिया के बाद जनगणना की जाएगी और फिर परिसीमन की कवायद शुरू हो जाएगी।
महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने के बाद लोकसभा में कुल 181 महिला सांसद हो जाएंगी। बिल का उद्देश्य राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण में महिलाओं की अधिक भागीदारी को सक्षम बनाना है। इसमें कहा गया है कि परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरक्षण लागू होगा और 15 वर्षों तक जारी रहेगा। विधेयक के अनुसार, प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की अदला बदली होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला आरक्षण बिल को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलने को ऐतिहासिक क्षण बताया है। उन्होंने कहा, ‘हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा का एक ऐतिहासिक क्षण! 140 करोड़ भारतवासियों को बहुत-बहुत बधाई! नारी शक्ति वंदन अधिनियम से जुड़े बिल को वोट देने के लिए राज्यसभा के सभी सांसदों का हृदय से आभार। सर्वसम्मति से इसका पास होना बहुत उत्साहित करने वाला है। इस बिल के पारित होने से जहां नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व और मजबूत होगा, वहीं इनके सशक्तिकरण के एक नए युग की शुरुआत होगी।
किस विधानसभा में कितनी नारियां
राज्य कुल सीट आरक्षण के बाद महिलाओं की संख्या
आंध्र प्रदेश 175 58
अरुणाचल प्रदेश 60 20
असम 126 42
बिहार 243 81
छत्तीसगढ़ 90 30
दिल्ली 70 23
गोवा 40 13
गुजरात 182 61
हरियाणा 90 30
हिमाचल प्रदेश 68 23
जम्मू-कश्मीर 90 30
झारखंड 81 27
कर्नाटक 224 75
केरल 140 47
मध्य प्रदेश 230 77
महाराष्ट्र 288 96
मणिपुर 60 20
मेघालय 60 20
मिजोरम 40 13
नागालैंड 60 20
ओडिशा 147 49
पुद्दुचेरी 30 10
पंजाब 117 39
राजस्थान 200 67
सिक्किम 32 11
तमिलनाडु 234 78
तेलंगाना 119 40
त्रिपुरा 60 20
उत्तर प्रदेश 403 134
उत्तराखंड 70 23
पश्चिम बंगाल 294 98