महाराष्ट्र 27 अक्टूबर (ब्यूरो) : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने नवंबर में अयोध्या जाने का ऐलान किया है। शिंदे का अयोध्या जाना उस सिलसिले की एक और कड़ी है जहां महाराष्ट्र के राजनेता अपने आपको को हिंदुत्ववादी साबित करने के लिये अयोध्या जाते हैं। शिवसेना दो फाड़ है। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के गुट के बीच खुद को हिंदुत्व का असली झंडाबरदार साबित करने के लिए होड़ लगी है। एकनाथ शिंदे ने बीते मंगलवार (25 अक्टूबर) को पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में बताया कि वे नवंबर महीने में अयोध्या जाएंगे। महाराष्ट्र का सीएम बनने के बाद उनका ये पहला अयोध्या दौरा होगा।
आखिरी बार उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने से चंद दिनों पहले ही उनके बेटे आदित्य ठाकरे के साथ वे अयोध्या गए थे। चर्चा ये भी है कि इस बार वे अपने सांसद बेटे श्रीकांत और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी साथ ले जाएंगे।
हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी होनी बाकी है। शिंदे का अयोध्या दौरा इसलिए अहम है क्योंकि इसे उनकी एक रणनीति के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है।
असली हिंदुत्ववादी कौन है?
जून में बगावत होने के बाद शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट और शिंदे गुट में बंट गयी. दोनों ही अपने आपको सच्चा हिंदुत्ववादी साबित करने में जुटे हुए हैं। एकनाथ शिंदे ने ठाकरे से अलग होने के जो कारण गिनाएं उनमें से एक प्रमुख कारण ये बताया कि ठाकरे हिंदुत्व से विमुख हो गए हैं। साल 2019 में उन्होंने कांग्रेस-एनसीपी जैसी पार्टियों की मदद से मुख्यमंत्री बनने की खातिर बीजेपी से गठबंधन तोड दिया। हिंदुत्व के मुद्दे पर ही बीजेपी और शिवसेना में बीते 3 दशकों से गठबंधन होता आया था। अब अयोध्या जाकर शिंदे ये संदेश देना चाहते हैं कि उनका गुट ही असली हिंदुत्ववादी शिवसेना है।