चन्नी बताएं कि प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के साथ क्या सौदेबाजी हुई : जोगिंदर पाल शर्मा, दर्शन लाल भगत,डा शिव दयाल माली व डा संजीव शर्मा
बीएसएफ को दी गई अधिक शक्तियां राज्यों के अधिकारों पर डाका और संघीय ढांचे पर सीधा हमला: हरचरण संधू, आई एस बग्गा व सुभाष शर्मा
जालंधर 18अक्तूबर (धर्मेंद्र सौंधी) : आम आदमी पार्टी (आप) की महिला प्रधान पंजाब राजविंदर कौर और देहाती प्रधान प्रिंसिपल प्रेम कुमार ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को दी गई अधिक शक्तियों का विरोध करते हुए केंद्र के इस कदम को राज्यों के अधिकारों पर डाका और संघीय ढांचे पर सीधा हमला करार दिया है। राजविंदर कौर और प्रेम कुमार ने केंद्र के इस तानाशाही फैसले के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जितना बराबर का जिम्मेदार ठहराया है, क्योंकि मुख्यमंत्री चन्नी ने कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से बातचीत कर पाकिस्तान के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बढ़ रही हथियारों और नशा तस्करी की वारदातों की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार से सख्ती किए जाने की मांग की थी। मुख्यमंत्री चन्नी ने ऐसा करके स्वयं पंजाब पर पचास प्रतिशत कब्जे के लिए केंद्र सरकार को चाबी सौंप दी। आप नेताओं ने संबोधित करते हुए जोगिंदर पाल सिंह, दर्शन लाल भगत, डाक्टर शिव दयाल माली और डा संजीव शर्मा ने कहा कि, “क्योंकि मुख्यमंत्री चन्नी साहब ने आत्मसमर्पण करते हुए पंजाब के करीब 27,600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र (जो पूरे पंजाब का पचास प्रतिशत से अधिक हो सकता है) का कब्जा अपने हाथों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंप दिया है। चन्नी साहब ने ऐसा करके सौ प्रतिशत संघीय ढांचा भी मोदी के चरणों में अर्पित कर दिया है।”
उन्होंने आशंका जताते हुए कई सवाल खड़े करते हुए मुख्यमंत्री चन्नी से स्पष्टीकरण मांगा है कि वह (सीएम) पंजाब की जनता को स्पष्ट करें कि ऐसा क्यों किया गया? उनके अनुसार “लोग जानना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री चन्नी की प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा से क्या डील हुई है? चन्नी साहब (मुख्यमंत्री) को ऐसा क्या मिला कि वह पंजाब के आधे क्षेत्र पर मैच फिक्सिंग के तहत अप्रत्यक्ष राष्ट्रपति शासन लागू करवा आए। अप्रत्यक्ष ढंग से 23 में से 12 जिलों (6 प्रमुख और 6 आंशिक) का नियंत्रण भाजपा को सौंप आए। क्योंकि भाजपा जानती है कि वह कभी भी पंजाब में सरकार नहीं बना सकती, फिर क्यों न आधे पंजाब पर अप्रत्यक्ष ढंग से राज कर लिया जाए।”
उप प्रधान हरचरण सिंह संधू, आई एस बग्गा और जिला सेक्टरी सुभाष शर्मा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ बीएसएफ के लिए पासपोर्ट एक्ट, एनडीपीएस कानून और कस्टम कानून के तहत तलाशी लेने, संदिगध व्यक्तियों की गिरफ्तारी करने व सामान जब्त करने और बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र 15 किमी. से बढ़ाकर 50 किमी. तक करने का फैसला वास्तव में राष्ट्रीय सुरक्षा का नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति का मामला है। पंजाब की चन्नी सरकार इस मामले में केंद्र की भाजपा सरकार के साथ मिली हुई है।
राजविंदर कौर ने पंजाब के अंदर बीएसएफ का दायरा 35 किलोमीटर बढ़ाने और गुजरात में 30 किलोमीटर घटाने के केंद्रीय फैसले पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि क्या गुजरात की सीमाओं के अंदर राष्ट्रीय सुरक्षा का कोई मामला नहीं है? लेकिन, क्योंकि वहां भाजपा की अपनी सरकार है, इस कारण वहां करीब 37 प्रतिशत क्षेत्र बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव से पहले इस प्रकार का एकतरफा फैसला करके पंजाब के लोगों को डराने का प्रयास है, इसका दुरूपयोग हो सकता है। किसानों की गिरफ्तारियां हो सकती हैं। बदले की राजनीति को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता। प्रेम कुमार ने कहा कि पंजाब गुरुओं की पावन धरती है। गुरु महाराज के आशीर्वाद की कृपा के साथ कोई भी शरारती तत्व पंजाब की सामाजिक एकजुटता, आपसी सद्भावना और अमन-प्यार को तोड़ नहीं सकेगा। क्योंकि पंजाबियों से बढक़र कोई देशभक्त नहीं है। आजादी की लड़ाई में भी सबसे बड़ा बलिदान और योगदान पंजाब के योद्धाओं का ही था। इन राष्ट्रवादियों पर बीएसएफ के जरिए केंद्र में बैठी भाजपा द्वारा अप्रत्यक्ष ढंग से राज करने के प्रयास की आम आदमी पार्टी सख्त निंदा करती है और पंजाब के लोगों को भरोसा दिलाती है कि `आप’ इसके खिलाफ हर मंच पर लड़ेगी और भाजपा के मंसूबे सफल नहीं होने देगी।”
`आप’ के नेता ने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार 2015 से लेकर आज तक दिल्ली की जनता के हक और अधिकारों के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के साथ लड़ती आ रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बूते दिल्ली में संघीय ढांचा मजबूत है और दिल्ली के मतदाताओं की शक्ति के साथ संघीय ढांचा कायम है। हालांकि, इसपर बार-बार हमले किए जाते रहे हैं। दूृसरी ओर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने प्रधानमंत्री मोदी के आगे घुटने टेक कर पंजाब के आधे क्षेत्र पर भाजपा का अप्रत्यक्ष कब्जा करवा दिया है। क्या इसका कारण कोई सौदेबाजी है? मिलाजुला खेल है? या फिर कोई फाइल मोदी सरकार के पास है, जिसके डरावे के साथ मुख्यमंत्री चन्नी आत्मसमर्पण कर गए। क्योंकि एक अक्तूबर को चन्नी प्रधानमंत्री मोदी से मिले थे, फिर 4 अक्तूबर को मोदी द्वारा नियुक्त किए गए पंजाब के राज्यपाल को मिले। पांच अक्तूबर को मुख्यमंत्री चन्नी गृह मंत्री अमित शाह को मिलने के बाद खुलासा करते हैं कि पाकिस्तानी सीमा पर नशे और हथियारों की तस्करी के खिलाफ केंद्र को सख्त कदम उठाने के लिए कहा है। इसकी आड़ में केंद्र सरकार 14 अक्तूबर को बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र 15 किमी. से बढ़ाकर 50 किमी. तक कर देती है। इस मौके पर इंदरवंश सिंह चड्डा,संजीव भगत, अजय भगत, सीमा वडाला, गुरप्रीत कौर, राजीव आनंद,गुरनाम सिंह, बलबीर सिंह, के के शर्मा, कीमती केसर,सतनाम,नितिन हांडा,सुरिंदर कुमार, बलजिंदर आदि उपस्थित थे।