जालंधर, 11 अगस्त (धर्मेंद्र सौंधी) : जालंधर नगर निगम कमिश्नर के दफ्तर में तैनात कुछ मुलाजिमों ने कमिश्नर दफ्तर को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया है। चाहे वो जाली एनओसी (NOC) प्रकरण हो या फिर ठेकेदारों को भुगतान करवाने का मामला।
यही नहीं आनलाइन नक्शों की मंजूरी में पिक एंड चूज कमिश्नर दफ्तर के मुलाजिमों के निर्देश पर हो रहा है। कमिश्नर अगर सवाल भी करते हैं तो उन्हें सत्ताधारी पार्टी के किसी नेता का नाम लेकर शांत करवा दिया जाता है।
कमिश्नर दफ्तर में तैनात मुलाजिम देता है संरक्षण
यही नहीं, नगर निगम में फर्जी एनओसी के तार भी कमिश्नर दफ्तर से जुड़ रहे हैं। सूत्र बता रहे हैं कि जाली एनओसी देने वाले निगम मुलाजिमों को संरक्षण कमिश्नर दफ्तर में तैनात मुलाजिम ही दे रहे हैं। इससे सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।
कई नाजायज इमारतों की फाइलें ही दबा ली
सूत्र बता रहे हैं कि कमिश्नर दफ्तर के ये ताकतवर मुलाजिम सीधे तौर पर बिल्डिंग ब्रांच और बीएंडआर के कामों में हस्ताक्षेप करते हैं। इन ताकतवार मुलाजिमों ने शहर की कई नाजायज इमारतों की फाइलें ही दबा ली है, जिसके खिलाफ बिल्डिंग ब्रांच ने डिमोलेशन या सीलिंग के लिए लिख रखा है।
बिल्डिंग ब्रांच के साथ ही बीएंडआर ब्रांच के कामों में इन मुलाजिमों का सीधा दबदबा है। यहां तक कि किस ठेकेदार को कितना भुगतान करना है, कब करना है, ये भी कमिश्नर दफ्तर में तैनात मुलाजिम ही करता है।
इसके अलावा बिल्डिंग और बीएंडआर ब्रांच में मुलाजिमों की तैनाती भी इसी मुलाजिम के कहने से किया जाता है। अगर इस मुलाजिम के इच्छा के विपरीत काम होता है तो वह फाइल ही कई हफ्तों तक गुम रहती है।
इसका ताजा उदाहरण सरकार द्वारा स्पेशल भर्ती किए गए तकनीकी बिल्डिंग इंस्पैक्टरों को हैड आफिस में बैठाना है। जबकि इन्हें फील्ड में काम करने की ड्यूटी लगानी थी। फिलहाल जाली एनओसी के बाद कमिश्नर दफ्तर में भी हड़कंप मचा हुआ है।
कमिश्नर दफ्तर के इन मुलाजिमों की सीधे आर्कीटैक्ट के साथ संबंध है। उन आर्कीटैक्ट के नक्शे बिना रुकावट के पास हो जाते हैं, जिनकी कमिश्नर दफ्तर से सिफारिश की जाती है। कालोनाइजर और आर्कीटैक्ट के साथ कमिश्नर दफ्तर के इन मुलाजिमों की सैटिंग बताई जाती है। जिससे इनकी फाइलों को समय रहते मंजूरी मिल जाती है।