ताज़ा खबरदिल्ली

पत्रकार दीपक चौरसिया को गिरफ्तार करो, कोर्ट ने किए अरेस्ट वारंट जारी  

चित्रा त्रिपाठी अजीत अंजुम समेत ये 8 पत्रकार जाएंगे जेल! जाने इस मीडिया माफिया गैंग की काली करतूतें

गुरुग्राम (ब्यूरो) : हिन्दू संत श्री आशाराम जी बापू को बदनाम करने व उन की छवि को धूमिल करने की साजिश के तहत नाबालिग बच्ची की वीडियो को तोड़मरोड़ कर MMS बनाकर झूठी खबर दिखा कर संत श्री आशाराम बापू जी, नाबालिग बच्ची व उन के परिवार को बदनाम करने के मामले में पोक्सो एक्ट के अधीन दीपक चौरसिया समेत 8 पत्रकारों के खिलाफ 2015 में गुरुग्राम पालम पुर थाने में एफआईआर नम्बर 147/2015 पोक्सो एक्ट के अंतर्गत धारा 469 471 180 120B भारतीय दंड सहिता के तहत 67 B आईटी एक्ट 13 पोक्सो एक्ट के अधीन FIR दर्ज की गई थी।

इन 8 पत्रकारों के खिलाफ हुई थी FIR दर्ज
आरोपी दीपक चौरसिया न्यूज़ नेशन चैनल के पूर्व एडिटर, चित्रा त्रिपाठी सीनियर एंकर आज तक चैनल , अजित अंजुम स्वंत्रत पत्रकार (youtub, पहले न्यूज़ 24 में एडिटर), राशिद, इंडिया न्यूज सीनियर एंकर , सैयद सोहेल, रिपब्लिक भारत चैनल, अभिनव राज प्रोड्यूसर , ललित सिंह सीनियर रिपोर्टर, राजस्थान जोधपुर, सुनील दत्त, राजस्थान चैनल। इन सभी को कोर्ट में पेश होने के लिए सम्मन जारी किये गए थे ।

दीपक चौरसिया, ललित सिंह नही हुए अदालत में पेश


इस मामले में गत 28 अक्तूबर को श्री मति शशि चौहान की अदालत में सुनवाई के दौरान 8 में से 6 आरोपी चित्रा त्रिपाठी,अजीत अंजुम,सैयद सोहेल,सुनील दत, राशिद,अभिनव राज पेश हुए। अन्य दो आरोपी दीपक चौरसिया, ललित सिंह अदालत में पेश नही हुए। इससे पहले भी चौरसिया 23 सितंबर 2022 को सुनवाई में हाजिर नहीं हो सके थे.

कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट के तहत गिरफ्तार करने के निर्देश किये जारी

इस मामले में गुरुग्राम की एक विशेष POCSO अदालत ने सुनवाई से बार-बार अनुपस्थित रहने पर कड़ा सज्ञान लेते हुए 21 नवंबर से पहले न्यूज नेशन के पूर्व एंकर दीपक चौरसिया को गैर-जमानती वारंट के तहत गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने दीपक चौरसिया एंकर की अनुपस्थिति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि हालांकि चौरसिया ने खराब स्वास्थ्य के कारण छूट मांगी थी, लेकिन इसका कोई सबूत अदालत को प्रस्तुत नहीं किया गया । इसमें कहा गया है कि आरोपी दूसरी बार “जानबूझकर अदालत के समक्ष अपनी उपस्थिति से बच रहा है”।

आवेदक-आरोपी की जमानत रद्द की जाती है। उनका जमानत बांड और मुचलका रद्द किया जाता है…आरोपी दीपक चौरसिया के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट 21 नवंबर को जारी किया जाए… सीआरपीसी की धारा 446 के तहत उनके जमानतदार को नोटिस और उनके पहचानकर्ता को भी तय तारीख के लिए जारी किया जाए, “अदालत ने आदेश दिया।

इसके साथ-साथ इसी मामले के एक अन्य आरोपी ललित सिंह की जमानत याचिका को भी अदालत में अनुपस्थित रहने की वजह से खारिज कर दिया गया. कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के दौरान उन्हें सुबह से कई बार कॉल किया गया, अभी दोपहर 12:45 बजे तक उनकी प्रतीक्षा की गई, लेकिन अब और ज्यादा इंतजार नहीं किया जाएगा. ललित कुमार के लिए भी सीआरपीसी की धारा 446 के तहत 21 नवंबर 2022 के लिए अरेस्ट वारंट जारी किया जाता है।

पालम विहार थाना क्षेत्र में रहने वाले सतीश कुमार (बदला हुआ नाम) के घर पर वर्ष 2013 की 2 जुलाई को संत श्री आसाराम बापू जी आए थे. इस दौरान उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों के साथ उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था। इस दौरान सतीश के घर हुए इस कार्यक्रम की वीडियोग्राफी भी की गई थी।
संत आसाराम जी बापू पर को बदनाम करने के लिए कई टीवी चैनलों और पत्रकारों ने इसी वीडियो को तोड़मरोड़ कर पेश किया, वीडियो एडिट कर ऐसे दिखाई गई कि संत आसाराम बापू बच्ची लड़की से अश्लील हरकत कर रहे है।
वीडियो में यह दिखाने की कोशिश की गई कि बच्ची के परिवार के घर अश्लीलता का अड्डा है ।
जो कि बाद में पुलिस जांच में साबित हुआ कि टीवी चैंनलों पर दिखाई गई वीडियो फर्जी व फेक है।
मामले को लेकर परिजनों का आरोप है कि उनकी और पूरे परिवार की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से मीडिया ने वीडियो को तोड़ मरोड़ कर अभद्र व अश्लील तरीके से प्रसारित किया। इससे परिवार और मासूम बच्ची को सामाजिक व मानसिक कष्ट झेलना पड़ा।
इसी के बाद परिजनों ने पालम विहार थाने में मामले की शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई करने में कतरा रही थी। लेकिन इस मामले में पीड़िता पक्ष को हिन्दू संगठनों का साथ मिला जिसके कारण वर्तमान में पीड़िता पक्ष को अंततः न्याय के मंदिर (Pocso न्यायालय) द्वारा न्याय मिलने की उम्मीद नजर आने लगी है।

पीड़िता को न्याय दिलाने के प्रयासों में जुटे हिन्दू संगठनों का कहना है कि इस केस में कोई उम्मीद की किरण नही दिख रही थी, क्योंकि पुलिस ने आरोपियों को बचाने के उद्देश्य से दो बार केस को बंद कर अनट्रेस रिपोर्ट फाइल कर दी थी। बाद में जब इस मामले को चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में ले जाया गया तो उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कोर्ट की निगरानी के चलते पुलिस को कार्यवाही करने के लिए बाध्य होना पड़ा।

वही हिन्दू संगठनों का कहना है कि जिन संत श्री आशाराम जी बापू ने सनातन धर्म को बचाने व आगे बढ़ाने के लिए समस्त जीवन समाज के लिए लगा दिये, वैसे संत श्री को बदनाम करने के लिए जिन पत्रकार द्वारा सुपारी ली गई थी,उन सभी पत्रकार को उसके किये का दंड मिलना ही चाहिए जो कानूनी रूप से शुरू हो चुकी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button