अमृतसर 10 जनवरी (साहिल गुप्ता) : पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने एक पै्रस बयान में कहा कि पंजाब में 108 एंबुलेंस सेवा पिछले 11 वर्षों में लाखों लोगों की सेवा कर चुकी है। कितने लोगों की जिंदगी बचाई, विशेषकर बच्चों के जन्म के लिए माताओं को अस्पताल पहुंचाना इनकी बड़ी सेवा रही। हजारों बच्चे ऐसे भी हैं जो एंबुलेंस में ही इनके कर्मचारियों की देखभाल में पैदा हुए।
मां और बच्चा दोनों सुरक्षित रहें, पर अफसोस यह है कि आउटसोर्सिंग एजेंसियां कर्मचारियों का पूरी तरह खून निचोड़ती हैं। 11 वर्षों में इनका वेतन नहीं बढ़ा और इनके काम के घंटे भी 12 से 16 के बीच हैं। आखिर क्या समस्या है कि इतने वर्षों में सरकार एंबुलेंस सेवा को सीधे अपने हाथ में नहीं ले सकी। यह निश्चित है कि किसी आउटसोर्सिंग एजेंसी को लाभ देने के लिए 108 एंबुलेंस सेवा उनके हवाले कर रखी है। वैसे भी सिविल अस्पतालों, मेंटल अस्पतालों में भी कर्मचारी आउटसोर्सिंग एजेंसियों द्वारा ही शोषित किए जा रहे हैं। पंजाब सरकार इन कर्मचारियों का वेतन बढ़ाए। कम से कम डीसी रेट तो दे। लेबर कानूनों के मुताबिक इनके काम के घंटे तय किए जाएं और जहां तक संभव हो इन्हें अपने जिले में ही नियुक्ति दी जाए, जिससे यह ड्यूटी के बाद परिवार के पास पहुंच सकें। पंजाब सरकार से एक सवाल यह भी है कि नए कर्मचारी तो भर्ती किए जा रहे हैं पर जो दस से पंद्रह वर्षों के समय से ठेके पर धक्के खा रहे हैं, आउटसोर्सिंग के नाम पर जिनका खून निचोड़ा जा रहा है पहले उनको रेगुलर क्यों नहीं करते। पूरा वेतन और छुट्टी का लाभ क्यों नहीं देते।