चंडीगढ़, 17 सितंबर (ब्यूरो) : पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने पंजाब विधानसभा के मानसून सत्र में पारित पंजाब पंचायती राज बिल 2024 को मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के साथ ही पंचायत चुनावों में आरक्षण की पुरानी प्रथा बहाल हो गई है, जिसके तहत अब पार्टी के निशान पर पंच और सरपंच के चुनाव नहीं होंगे। राज्य सरकार अक्टूबर के मध्य में पंचायत चुनाव कराने की तैयारी कर रही है। इस मंजूरी के बाद चुनावी प्रक्रिया को तेज किया जाएगा और चुनाव जल्द संपन्न होने की उम्मीद है।
पंजाब सीएम भगवंत मान ने बिल को पेश करते हुए बताया कि इस संशोधन का उद्देश्य यह है कि सरपंच अब पार्टी के नहीं, बल्कि गांव के द्वारा चुना जाए। उनका मानना है कि इससे गांवों में आपसी झगड़े कम होंगे और पंचायत चुनाव में पारदर्शिता बढ़ेगी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 2018 में किसी ने भी पार्टी के निशान पर पंचायत चुनाव नहीं लड़ा था।
सीएम मान ने यह भी घोषणा की कि जो गांव सर्वसम्मति से सरपंच चुनेंगे, उन्हें 5 लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। इसके अलावा, स्टेडियम जैसी अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। उनका कहना है कि सर्वसम्मति से चुनाव कराने से लोगों के पैसे बचेंगे, क्योंकि वर्तमान में सरपंच के चुनाव पर 40-40 लाख रुपये तक खर्च हो जाते हैं।
पंजाब में 2018 में हुए पंचायत चुनावों के दौरान 13,276 सरपंच और 83,831 पंचों को चुना गया था। दिसंबर 2023 में अधिकांश पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो गया था और उनकी जगह सीनियर अफसर प्रशासनिक अधिकारी लगाए गए हैं। चुनाव में हो रही देरी को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में मामला दर्ज किया गया था। इस दौरान सरकार ने अदालत को बताया था कि चुनाव कराने की तैयारी चल रही है।