चंडीगढ़, 12 फरवरी (ब्यूरो) : सिंगापुर से पांच दिन की टेनिंग लेकर वापस लौटे प्रिंसिपल ने सीएम भगवंत मान के साथ अपने अनुभव शेयर किए हैं। बैच में शामिल संगरूर से प्रिंसिपल हरजोत कौर ने कहा कि उन्होंने शिविर में दो बातें सीखीं- प्रोफिशिएंसी यानी प्रवीणता और एफिशिएंसी यानी क्षमता। अध्यापकों को पढ़ाते समय इन दोनों बातों का ध्यान रखना होगा।
एक अन्य प्रधानाचार्य ने बताया कि शिविर में उन्हें “टीच लेस-लर्न मोर” यानी पढ़ाओ कम-सीखाओ ज्यादा की तकनीकं समझाई गई। इसके अलावा शिक्षण एक ऐसा विषय जिसमें केवल अध्यापक और विद्यार्थी के बीच ही रिश्ता नहीं होना चाहिए, बल्कि इसमें सामाजिक सहभागिता को शामिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब के सरकारी स्कूलों में अब पैराडाइम तकनीक से पढ़ाई करवाई जाएगी।
क्या है पैराडाइम तकनीक
पैराडाइम शिफ्ट यानी शिक्षा में प्रतिमान परिवर्तन। इस तकनीक में शिक्षा विद्यार्थी केंद्रित हो जाती है, जिसमें सब्जेक्ट किताबें नहीं बल्कि छात्र होता है। सीखने की क्षमता का सही उपयोग कर औसत विद्यार्थी भी इस तकनीक के सहारे बहुत जल्द पाठ्यक्रम को आत्मसात कर लेता है। इस तकनीक में न केवल विद्यार्थी सीखते हैं, बल्कि अध्यापक की भूमिका भी एक सह-छात्र के रूप में रहती है। इसके शिक्षण पद्धति के आठ सोपान हैं, जिनमें शिक्षार्थी स्वायत्तता, सहकारी शिक्षण, पाठ्यचर्या एकीकरण, अर्थ पर् ध्यान केंद्रित करना, विविधता, सोच कौशल, वैकल्पिक मूल्यांकन और सह-शिक्षार्थियों के रूप में शिक्षक शामिल है।
सिंगापुर में पंजाब के प्रिंसिपलों ने यह सीखा
-आनंदपूर्ण अधिगम (ज्वॉयफुल लर्निंग)
-विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच सामन्य समझ
-विषय नहीं शिक्षार्थी पर ध्यान
– बच्चों में राष्ट्रवाद की भावना
-विद्यार्थियों के प्रति दायित्व बोध
-विजन, मिशन एंड गोल
– सामाजिक सहभागिता
-परस्पर ज्ञान का प्रसार