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पंजाब के राज्यपाल ही बने रहेंगे विश्वविद्यालयों के चांसलर, राष्ट्रपति ने बिल को नहीं दी मंजूरी

चंडीगढ़, 17 जुलाई (ब्यूरो) : पंजाब विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली है। विधेयक, जिसमें सभी राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति (चांसलर) के रूप में राज्यपाल की जगह पंजाब के मुख्यमंत्री को नियुक्त करने की मांग की गई थी, को बिना मंजूरी के राज्य सरकार को वापस कर दिया गया है।

जानकारी के अनुसार, बिल पिछले हफ्ते पंजाब राजभवन को लौटा दिया गया था। पंजाब राजभवन के आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि हालांकि उन्होंने राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजे गए दो अन्य विधेयकों के बारे में कुछ नहीं सुना है, पंजाब विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 को वापस भेज दिया गया है।

दिसंबर 2023 में उपरोक्त विधेयक, सिख गुरुद्वारा (संशोधन) विधेयक, 2023 और पंजाब पुलिस (संशोधन) विधेयक, 2023 के साथ, पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा राष्ट्रपति के विचार के लिए रोक लिया गया था। फिर इन विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजा गया। उच्च शिक्षा विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने पुष्टि की है कि राष्ट्रपति ने इस विधेयक के माध्यम से मांगे गए संशोधनों पर अपनी सहमति नहीं दी है।

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना और बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, फरीदकोट के कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर पंजाब के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच गतिरोध के बाद पिछले साल पंजाब विधानसभा द्वारा यह विधेयक पारित किया गया था। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, चूंकि पंजाब विश्वविद्यालय कानून अधिनियम में किए गए संशोधनों को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली है, इसलिए राज्यपाल 11 राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति बने रहेंगे।

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