मुंबई, 31 दिसंबर (ब्यूरो) : पांच साल पहले मुंबई के दादर में एक पादरी ने द्वारा 13 वर्षीय बच्चे का चर्च के अंदर ही बलात्कार कर दिया था।
जिस के 5 बर्ष बाद अब मुंबई की एक विशेष अदालत ने बुधवार (29 दिसम्बर, 2021) को एक कैथोलिक पादरी, फादर जॉनसन लॉरेंस को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराया और कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
पादरी ने साल 2015 में बच्चे के साथ कुकर्म किया था। उस वक्त बच्चा महज 13 साल का था। बच्चे की उम्र अब 18 वर्ष है और पादरी द्वारा किए गए दुष्कर्म के चलते वह कई प्रकार की मानसिक एवं शारीरिक बिमारियों का शिकार हो चुका है।
दिसंबर 2015 में ही ईसाई पादरी जॉनसन लॉरेंस, जो उस समय 52 वर्ष का था, को गिरफ्तार किया था और तब से वह जेल में ही था। फैसले की वक्त के वक्त पादरी विशेष न्यायाधीश सीमा जाधव के समक्ष अदालत में पेश किया गया था।
विशेष न्यायाधीश ने पादरी को पोक्सो की धारा 6 और धारा 12 के तहत अपराधों का दोषी पाया और कठोर उम्रकैद की सजा सुनाई। विशेष लोक अभियोजक वीना शेलार ने आरोपित पादरी के खिलाफ मामला साबित करने के लिए 9 गवाहों से पूछताछ की थी।
पादरी ने ऐसे बनाया बच्चे को हवस का शिकार
शिकायत के अनुसार किशोर अगस्त 2015 में नियमित प्रार्थना के लिए चर्च जा रहा था। इस बीच सभी के बाहर जाने के बाद पादरी ने उसे अकेले ही चर्च में रोक लिया था पीड़ित किशोर एक गरीब परिवार से था और इस डर से कि चर्च मदद नहीं करेगा, उसने अपने साथ हुए कुकर्म की जानकारी किसी को भी नहीं दी।
लेकिन धीरे-धीरे इसका असर उनकी मानसिकता पर पड़ने लगा। वह अकेला और शांत हो गया, बाद में उसकी तबीयत बिगड़ गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। 27 नवंबर को पीड़ित लड़का अपने परिवार के साथ फिर से चर्च लौटा। उसी समय पादरी ने उसे अपने कार्यालय में एक डिब्बा रखने के लिए कहा और उसके पीछे पीछे कार्यालय में चला गया।
कार्यालय में चर्च के पादरी ने लड़के के साथ फिर से अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए और उसे प्रताड़ित किया। पादरी द्वारा उसे चुप रहने की धमकी भी दी गई। इस बार जब किशोर घर लौटा तो उसने अपनी माँ को घटना के बारे में बताया, जिसके बाद उसके माता-पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।