पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही जंग में अब कांग्रेस विधायक परगट सिंह भी कूद पड़े हैं। परगट सिंह ने कहा है कि कैप्टन अपने बारे में सर्वे करा लें, उन्हें पता चल जाएगा कि पंजाब में आज कांग्रेस कहां खड़ी है? राज्य में कांग्रेस की साख कोई खास अच्छी नहीं है।
साथ ही परगट सिंह ने कोटकपुरा पुलिस गोलीकांड मामले में एसआईटी की रिपोर्ट खारिज करने के पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को कैप्टन अमरिंदर सरकार की कमजोरी करार दिया।
परगट सिंह ने कहा कि कांग्रेस विधायकों की बैठक में उन्होंने कैप्टन के सामने साफ कर दिया था कि आज हालात लीपापोती वाले नहीं रह गए हैं। सरकार को जल्द ही धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी और गोलीकांड के आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए कदम उठाने होंगे।
कैप्टन और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बीच मैच फिक्स होने की धारणा बन जाने का जिक्र करते हुए परगट ने कहा कि सरकार को इस धारणा को तोड़ने की जरूरत है। कोटकपुरा गोलीकांड मामले में हाईकोर्ट के आदेश की जिम्मेदारी भी कैप्टन को स्वीकार करनी होगी, क्योंकि वे मुख्यमंत्री के साथ राज्य के गृह मंत्री भी हैं।
सिद्धू को पटियाला से अपने खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती देने पर परगट सिंह ने पूछा कि क्या इससे धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी का मामला हल हो जाएगा? उन्होंने कहा कि कैप्टन को ऐसी बयानबाजी शोभा नहीं देती। कोई नहीं चाहता कि पार्टी का अनुशासन भंग हो, लेकिन जब सुनवाई नहीं होती तो कोई न कोई तो बोलेगा ही।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं को लोगों के बीच जाना है, इसलिए बेअदबी मामले में आरोपियों को सजा मिलना जरूरी है, ताकि जनता को उनके सवालों का जवाब दिया जा सके।
कैप्टन ने कहा कि सिद्धू खुद को बहुत बड़ा अभिनेता समझते हैं लकिन कुर्सी पर बैठकर हंसना कोई अदाकारी नहीं है। सिद्धू भाषणा अच्छा देते हैं लकिन इतने से की काम नहीं चलता है। बदल से मिलीभगत के आरोपों को खारिज करते हुए कैप्टन ने कहा कि वे बादल को बख्शेंगे नहीं। तथ्य यही है कि जो धार्मिक मामले हैं, उसमें कार्रवाई चल रही है।
साथ ही कैप्टन ने कहा था, ‘नवजोत सिंह के लिए भी मेरे दरवाजे बंद हैं। सिद्धू तीन-चार बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिल चुके हैं।