चंडीगढ़, 06 दिसंबर (ब्यूरो) : राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के पहले दिन खत्म होने पर राजस्थान कांग्रेस को नया प्रभारी भी मिल गया। पंजाब के सीनियर लीडर और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को आलाकमान ने माकन के इस्तीफे के बाद नया प्रभारी नियुक्त किया है। वहीं रंधावा कांग्रेस स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य भी मनोनीत किए गए हैं। रंधावा चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का सीएम बनाए जाने के बाद गृहमंत्री बने थे। माना जा रहा है कि राजस्थान कांग्रेस का प्रभारी बदलने के पीछे 25 सितंबर का सियासी घटनाक्रम मुख्य वजह है। दरअसल 25 सितंबर को जयपुर में विधायक दल की बैठक में सीएम अशोक गहलोत गुट के विधायकों के विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर सामूहिक इस्तीफा दिया था।
वहीं गहलोत गुट के विधायकों ने अजय माकन पर पक्षपात के आरोप लगाए थे। वहीं माकन ने तीन गहलोत समर्थक नेताओं के खिलाफ पैरेलल विधायक दल की बैठक बुलाए जाने पर सोनिया गांधी को एक रिपोर्ट भी सौंपी थी। इसके बाद शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र सिंह राठौड़ को नोटिस जारी किए गए थे। हालांकि तीनों नेताओं पर अभी किसी भी तरह का एक्शन नहीं लिया गया है। बता दें कि अजय माकन ने तीनों नेताओं के खिलाफ एक्शन नहीं होने का मुद्दा उठाते हुए 8 नवंबर को ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को चिट्ठी लिखकर इस्तीफा देने की पेशकश की थी। जिसे देर रात कांग्रेस पार्टी ने स्वीकार कर लिया है।
चन्नी सरकार में डिप्टी सीएम बने थे रंधावा
राजस्थान के नए कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने साल 2002 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था और इसके बाद वह 2012, 2017 और 2022 में भी रंधावा डेरा बाबा नानक से विधायक चुने गए। 1 फरवरी 1959 को पैदा हुए रंधावा का जन्म गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक तहसील के दरौली गांव में हुआ।
बीते साल पंजाब की उठापटक के बाद चन्नी सरकार में उन्हें पंजाब का उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। बता दें, अजय माकन के राजस्थान प्रभारी पद से मुक्त होने के बाद राजस्थान से निकल रही भारत जोड़ो यात्रा बिना प्रभारी के चल रही थी ऐसे में अब यात्रा के राजस्थान में प्रवेश करने के साथ ही रंधावा को नया प्रभारी नियुक्त किया गया है।
रंधावा ने पहना कांटों भरा ताज !
वहीं रंधावा को राजस्थान का प्रभारी नियुक्त करने के साथ ही उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर भी चर्चा होने लगी है। मालूम हो कि राजस्थान में गहलोत-पायलट के बीच कुर्सी को लेकर संघर्ष चल रहा है ऐसे में दोनों नेताओं के बीच तालमेल बनाकर राजस्थान में साल 2023 में होने वाले चुनाव रंधावा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होंगे।